दिल्ली हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों और बंदरों से जुड़ी समस्या पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर सभी बंदरों को असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य ट्रांसफर करने का निर्देश दिया. दिल्ली हाई कोर्ट आवारा कुत्तों और बंदरों के दिव्यांग व्यक्तियों पर हमला करने से जुड़े मुद्दे पर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है.
दिल्ली हाई कोर्ट का अहम निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव को चार नवंबर को नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली छावनी बोर्ड और वन विभाग के प्रमुख की एक बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया ताकि इस मुद्दे से निपटने के लिए एक मैकेनिज्म बनाया जा सके. दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि बैठक में दिल्ली पशु कल्याण बोर्ड के सचिव, दिल्ली सरकार के पशुपालन विभाग, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, वहीं याचिकाकर्ताओं के वकील राहुल बजाज और अमर जैन तथा कार्यकर्ता गौरी मौलेखी को भी मौजूद रहेगी.
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दिल्ली हाई कोर्ट ने मैकेनिज्म बनाने के लिए कहा
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा समाज में विभिन्न समूह होते हैं जिनमें विभिन्न दिव्यांगता से पीड़ित लोग भी शामिल हैं और उनकी समस्याएं वास्तविक हैं. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है. दुनिया में कहीं भी आपको ऐसा शहर नहीं मिलेगा, जिसपर पूरी तरह बंदरों और कुत्तों का कब्जा हो. ऐसा नहीं होना चाहिए. उनके साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा हम आवारा पशुओं के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करेंगे लेकिन इंसानों के साथ भी सम्मानपूर्वक व्यवहार किए जाने की जरूरत है. इसलिए कुछ मेकैनिज्म विकसित किए जाने की जरूरत है. दिव्यांग व्यक्तियों को भी आवारा पशुओं से परेशानी नहीं होनी चाहिए और लोगों को शहर की सड़कों पर चलने में किसी तरह की समस्या न हो.
किसने दाखिल की थी याचिका ?
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 नवंबर की लगाई है. वही दिल्ली हाई कोर्ट में एक NGO धनंजय संजोगता फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसका प्रतिनिधित्व बजाज कर रहे हैं, जो दृष्टिबाधित शख्स हैं.
( रिपोर्टर - सुशील पाण्डेय )