म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) के चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में पार्टियां आमने-सामने हैं, खासतौर से बीजेपी और आप. पार्टियां जनता को लुभाने में लग गई हैं. लेकिन आज हम पार्टियों की बात नहीं करेंगे, बल्कि दिल्ली नगर निगम में काम करने वाले DBC (Domestic Breeding Checker) कर्मचारियों की बात करेंगे. जी हां, ऐसा इसलिए क्योंकि अक्सर लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर एमसीडी DBC कर्मचारियों को पक्का क्यों नहीं करती. वहीं, विपक्षी पार्टियां भी इसको मुद्दा बनाकर सवाल उठाती रहती हैं. हाल ही में जब विपक्षी पार्टी ने ये सवाल खड़ा किया, तो एमसीडी को इसका जवाब देना पड़ा. जिस बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं.
सबसे पहले आपको बता दें कि ये DBC कर्मचारी हैं कौन? तो आपको बता दें कि डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर को डीबीसी कर्मचारी कहा जाता है. जो घर-घर जाकर डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का पता लगाते हैं. साथ ही लोगों को सतर्क करने के साथ-साथ वहां दवाइयों का छिड़काव करते हैं और लोगों को दवाइयां भी देते हैं. वहीं, बीते साल कोरोना काल में इन कर्मचारियों ने घर-घर जाकर कोविड डेटा भी कलेक्ट किया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि ये DBC (Domestic Breeding Checker) कर्मचारी पिछले 22 सालों से लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी नौकरी पक्की नहीं की जा रही. बल्कि वे केवल अनुबंध पर काम कर रहे हैं. जैसा कि आप जानते हैं कि एमसीडी में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में बीते दिनों आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती ने एसडीएमसी (South Delhi Municipal Corporations) पर इसको लेकर सवाल उठाया. जिस पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर मुकेश सुर्यान ने जवाब देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने एसडीएमसी पर सरासर गलत आरोप लगाए हैं.
उनका कहना है कि एसडीएमसी (South Delhi Municipal Corporations) द्वारा पिछले 1 साल में पूरे तीन बार डीबीसी कर्मचारियों और फील्ड वर्कर्स् को पक्का करने की फाइल दिल्ली सरकार के पास भेजी जा चुकी है. लेकिन उन फाइलों को बिना हस्ताक्षर के हर बार लौटा दिया गया है. मेयर का कहना है कि दिल्ली सरकार के असहयोग के चलते DBC (Domestic Breeding Checker) कर्मचारियों की नौकरी पक्की नहीं हो पा रही है. मेयर सूर्यान के मुताबिक, अगर दिल्ली सरकार द्वारा फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए जाएं तो कर्मचारियों को पक्का करने में महज 24 घंटे का समय लगेगा. मेयर ने बताया कि फाइल पर हस्ताक्षर न होना ही दिक्कत नहीं है. साथ ही निगम का फंड भी जबरन रोका जा रहा है. जो DBC कर्मचारियों को पक्का करने में रोड़ा बन रहा है.