दिल्ली में 16 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किला और दिल्ली के कई इलाकों में हुई हिंसा के बाद किसानों के आंदोलन को लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. यूपी दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन के विरोध में गाजियाबाद के स्थानीय लोग पहुंचे और किसानों के विरोध में नारे लगाए. वहीं, अब नए कृषि कानूनों के विरोध में करीब दो महीनों ने यूपी गेट और गाजीपुर बॉर्डर डेरा डालकर बैठे किसानों को हटाने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है. इसके लिए धरनास्थलों के बिजली-पानी काटकर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी बढ़ा दी गई है.
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वहीं, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बढ़ी तादाद को देखकर किसान आशंकित दिख रहे हैं. इसका असर राकेश टिकैत के भाषण में भी दिख रहा है. उन्हें भी शंका डर की प्रशासन बल पूर्वक यहां से हटा सकता है. आंदोलन स्थल पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की बढ़ती तादात को देखते हुए किसान नेता आगे की रणनीति को लेकर आपस में बैठक कर रहे हैं.
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उत्तर प्रदेश के ADG (कानून-व्यवस्था) ने बताया कि 26 जनवरी को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने स्वेच्छा से चिल्ला बाॅर्डर, दलित प्रेरणा स्थल से आंदोलन वापस ले लिया. बागपत में लोगों को समझाने के बाद उन्होंने रात में धरना खत्म कर दिया. यूपी गेट पर अभी कुछ लोग हैं, उनकी संख्या काफी कम हुई है.
Source : News Nation Bureau