किसानों के सत्याग्रह ने दिखा दिया कि अन्याय के खिलाफ सच्चाई की जीत होती है: केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा में सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से एक साल पहले किसान आंदोलन शुरू हुआ था. केंद्र सरकार द्वारा बिना किसानों से पूछे, बिना जनता से पूछे अपने अहंकार में तीन काले कानून पास किया था.

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Radha Agrawal
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Arvind Kejriwal

Arvind Kejriwal ( Photo Credit : AAP Digital )

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दिल्ली विधानसभा में सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीन काले कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन की जीत पर सभी देशवासियों को बधाई दी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मेरे देश के किसान ने अपने सत्याग्रह से यह दिखा दिया कि अन्याय के खिलाफ सच्चाई और मज़बूत इरादों की जीत ज़रूर होती है. दुनिया के इतिहास में यह सबसे लंबा आंदोलन रहा, जो देश के किसानों को अपनी ही चुनी हुई सरकार के खिलाफ करना पड़ा और 12 महीने तक चला. कभी सोचा नहीं था कि आजाद भारत में किसानों को राष्ट्र विरोधी, खालिस्तानी, चीन-पाकिस्तान के एजेंट समेत तमाम गंदी-गंदी गालियां दी जाएंगी. सीएम अरविंद केजरीवाल ने सवाल किया कहा कि अगर देश के सारे किसान राष्ट्र विरोधी हैं, तो जो गालियां दे रहे थे, वो क्या हैं? पिछले कुछ वर्षों से लोगों का जनतंत्र पर से भरोसा उठता जा रहा था. यह जनतंत्र की जीत है और इससे लोगों का जनतंत्र में भरोसा बढ़ा है. किसानों की एमएसपी समेत अन्य लंबित मांगों का हम पूरा समर्थन करते हैं और किसानों पर लगाए गए सभी झूठे मुकदमें को वापस लेने की मांग करते हैं.

दिल्ली विधानसभा में सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से एक साल पहले किसान आंदोलन शुरू हुआ था. केंद्र सरकार द्वारा बिना किसानों से पूछे, बिना जनता से पूछे अपने अहंकार में तीन काले कानून पास किया था. लोकसभा इनका बहुमत है और राज्यसभा में भी इनकी काफी सीटें हैं। उसका इन्हें अहंकार है कि हम तो कुछ भी पास करा लेंगे। उस अहंकार के चलते इन्होंने ये काले कानून पास किए। इनको लगता था कि किसाना आएंगे, थोड़े दिन आंदोलन करेंगे, चीखेंगे, चिल्लाएंगे और फिर घर चले जाएंगे। पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर पर यह आंदोलन शुरू हुआ। आज पूरा एक साल हो गया और उनका आंदोलन सफल रहा। सबसे पहले मैं इस देश के किसानों को तहे दिल से बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं। इस आंदोलन में सब लोग शामिल हुए। कोई प्रत्यक्ष रूप से कोई अपने-अपने घर से दुआएं भेज रहे थे। जो भी इस देश का भला चाहते हैं, सबने इस आंदोलन का समर्थन किया। महिलाओं, व्यापारियों, छात्रों, पत्रकारों, बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों के साथ सभी धर्म-जाति के लोगों ने इसका समर्थन किया और सबने इसकी सफलता के लिए दुआएं दी। मैं सभी देश वासियों को इसकी सफलता पर बधाई देना चाहता हूं।

पंजाब के किसानों ने आंदोलन की अगुआई की और पंजाब की महिलाओं ने कंधे से कंधा मिलाकर बॉर्डर पर डंटी रहीं- अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन में पंजाब के किसानों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि मैं खासकर पंजाब के किसानों को बधाई देना चाहता हूं, क्योंकि उन लोगों ने इस पूरे आंदोलन की अगुआई की। जिस तरह बहुत बड़े स्तर पर ट्रैक्टर ट्रॉली पंजाब से आए और यहां आकर बैठ गए। पंजाब की उन महिलाओं को भी मैं बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर कई दिनों तक इस आंदोलन में बॉर्डर पर उनके साथ बैठी हुई थी। सर्दी, गर्मी और बारिश में इनको कितनी बांधाएं आईं, इन्होंने कितनी तकलीफें सही। मुझे याद है कि पिछले साल जब कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी, तब हम सोचा करते थे कि हम अपने घर में इतने बड़े हिटर लगा कर बैठे हैं और रजाई के अंदर हैं। वहीं, किसान इतनी कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे पता नहीं कैसे बैठे होंगे, कैसे सो रहे होंगे। फिर गर्मी आई, डेंगू आया और कोरोना आया, लेकिन सारी बांधाओं को पार करते हुए आखिर में किसानों की जीत हुई और तीनों काले कानूनों को वापस लिया गया।

अपने ही देश में अपनी ही चुनी हुई सरकार के खिलाफ लड़ते-लड़ते 700 किसान शहीद हो गए- अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं समझता हूं कि शायद यह दुनिया के इतिहास में सबसे लंबा आंदोलन था। मैं और कोई ऐसा आंदोलन नहीं जानता। भारत में 1907 में एक आंदोलन हुआ था। वह पंजाब के किसानों का आंदोलन था और वह आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ हुआ था और करीब 9 महीने तक चला था। उसके बाद अब किसानों को अपनी चुनी हुई सरकार के खिलाफ आंदोलन करना पड़ा और यह 12 महीने तक चला। यह सबसे अहिंसात्मक आंदोलन रहा। संयमित आंदोलन था। सत्ता पक्ष ने किसानों को भड़काने, गालियां देने और षणयंत्र करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। किसानों के आंदोलन को कुचला गया। लखीमपुरी खीरी की घटना बहुत ही दर्दनाक घटना है। सरेआम सड़क के उपर हजारों लोगों के सामने किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया, इतनी हिम्मत हो गई थी। अगर सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता तो जिसने कुचला था, उसको गिरफ्तार भी नहीं किया जाता। यह तो सुप्रीम कोर्ट की वजह से इन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। लेकिन किसान बेचारा केवल शांत रहा और अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहा। इस दौरान अपने ही देश में अपनी ही चुनी हुई सरकार के खिलाफ लड़ते-लड़ते 700 किसान शहीद हो गए। उन सभी किसानों को मैं नमन करता हूं, लेकिन एक खुशी की बात यह है कि अब उनकी आत्मा को शांति मिल रही होगी, क्योंकि उन्होंने जिस चीज के लिए सहादत दी, वह लक्ष्य अंत में पूरा हुआ और किसानों की जीत हुई।

हमने स्टेडियमों को जेल बनाने की मंजूरी नहीं दी और किसानों की हमेशा मदद की, केंद्र सरकार इससे बहुत नाराज हुई- अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह एक तरह से हवन था और उस हवन में हम सब लोगों ने भी अपनी तरफ से एक चम्मच घी डाला, जब हमारे पास फाइल आई कि पंजाब से किसान आ रहे हैं। पंजाब से चल पड़े हैं और बॉर्डर पर आ रहे हैं। उन किसानों के लिए स्टेडियम को जेल बनाया जाएगा। तब मुझे अन्ना आंदोलन के अपने दिन याद आ गए। उस समय हमको भी जेल में रखा गया था। इन्हीं स्टेडियम के अंदर हम भी रहे हैं और हमने भी इन स्टेडियम के अंदर रातें काटी हैं। मैं समझ गया कि ये सभी किसानों को इन स्टेडियम के अंदर डाल देंगे और आंदोलन खत्म हो जाएगा। फिर किसान स्टेडियम में बैठे रहें, जितने दिन बैठना है। हमने स्टेडियम को जेल बनाने की अपनी मंजूरी नहीं दी। इसके लिए केंद्र सरकार बहुत नाराज हुई। वैसे ही ये हमें बहुत तंग करते हैं। मैंने सोचा थोड़ा और तंग कर लेंगे। बॉर्डर के उपर किसानों को जब-जब पानी, टॉयलेट आदि जरूरत पड़ी, हमने हर समय मदद की। हमारे तरफ से जो भी हो सकता था, हमने किसानों की मदद की।

बेशर्मी की भी हद होती है, जब तीनों काले कानून लाए, भाजपा नेताओं ने कहा, क्या मास्टर स्ट्रोक है और अब वापस लिया, तब भी भाजपा नेता कह रहे, क्या मास्टर स्ट्रोक है... क्या गत बना दी है, भाजपा वालों की उनके नेताओं ने- अरविंद केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि बेशर्मी की भी हद होती है। जब ये तीन काले कानून लाए गए, तब भाजपा वाले चारों तरफ बोले, वाह! क्या मास्टर स्ट्रोक है और जब ये तीनो काले कानून वापस लिए गए, तब भी बोले, वाह! क्या मास्टर स्ट्रोक है, क्या गत बना दी है, भाजपा वालों की उनके नेताओं ने। मैं यही कह सकता हूं कि मुझे भाजपा वालों पर बहुत दया आती है। किसानों की लंबित मांगों का हम पूरा समर्थन करते हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को तत्काल मंत्री मंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए। मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार को क्या मजबूरी है। उनकी कुछ तो मजबूरी होगी ही, जो एक आदमी का बोझ लेकर केंद्र सरकार अपने कंधे पर ढो रही है। मुझे नहीं पता है कि उनकी क्या मजबूरी है, लेकिन कुछ तो जरूर मजबूरी होगी। पूरा देश मांग करता है कि ऐसे व्यक्ति को तुरंत बर्खास्त किया जाए। किसानों की एमएसपी की जो मांग है, वह बिल्कुल जायज है। हमने भी इस पर गहन अध्ययन किया है। अगर एमएसपी लागू हो जाता है, तो देश के कृषि सेक्टर को बहुत बड़ा फायदा होगा। किसानों पर जितने झूठे मामले लगाए गए हैं, वो सारे वापस लिए जाएं और जो 700 किसान शहीद हो गए हैं, उनको उचित मुआवजा दिया जाए। किसान तय करेंगे कि वो कब उठना चाहते हैं। किसान जब तक वहां बैठे हैं, हम पूरी तरह से किसानों के हर कदम के साथ हैं।

Source : News Nation Bureau

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