‘जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं, उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए’

पांच दोस्तों का एक समूह शनिवार की सुबह अमृतसर से रवाना हुआ. नियमित रूप से लंगर लगाने के लिए उनके पास ज्यादा समय नहीं था, इसलिए उन्होंने हरियाणा के एक मॉल से कई पिज्जा लिए और सिंघु बॉर्डर पर स्टॉल लगा लिया.

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nitu pandey
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किसान आंदोलन ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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पांच दोस्तों का एक समूह शनिवार की सुबह अमृतसर से रवाना हुआ. नियमित रूप से लंगर लगाने के लिए उनके पास ज्यादा समय नहीं था, इसलिए उन्होंने हरियाणा के एक मॉल से कई पिज्जा लिए और सिंघु बॉर्डर पर स्टॉल लगा लिया. कुछ ही मिनट के अंदर वहां बड़ी संख्या में आंदोलनरत किसान और आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और इन दोस्तों ने उनके बीच करीब 400 पिज्जा बांटे.

इसके बाद से ‘पिज्जा लंगर’ सुर्खियों में बना हुआ है और विभिन्न समूह के लोगों ने इसकी प्रशंसा की है, जबकि कुछ समूहों ने इसकी आलोचना भी की है. विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की खातिर अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर ‘पिज्जा लंगर’ का आयोजन करने वाले शनबीर सिंह संधू ने कहा, ‘‘जो किसान पिज्जा के लिए आटा मुहैया कराते हैं उन्हें भी पिज्जा मिलना चाहिए.’’

संधू ने कहा, ‘‘दाल-चपाती का नियमित लंगर लगाने के लिए हमारे पास समय नहीं था...इसलिए हमने ऐसा लंगर लगाने का विचार किया.’’ संधू के मित्र शहनाज गिल ने कहा कि लोग रोजाना एक ही खाना खाकर बोर हो गए हैं.

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उन्होंने कहा, ‘‘हमने सोचा कि हमें उन्हें कुछ ऐसी चीज देनी चाहिए कि उनका उत्साहवर्द्धन हो सके.’’ बहरहाल, संधू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और पूरी तरह अस्वीकार्य है कि किसानों को पिज्जा देने के लिए कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं. गिल ने कहा कि किसी को यह टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है कि किसान क्या खाएं या क्या पहनें.

पांचों दोस्तों ने इस तरह का एक और लंगर आयोजित करने का निर्णय किया है और उनका कहना है कि यह ज्यादा बेहतर और बड़ा होगा. संधू ने कहा कि यह पिज्जा या बर्गर या कुछ और भी हो सकता है. 

Source : Bhasha

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