देश भर में कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के मामले भले ही एक दिन में रिकॉर्ड बना रहे हैं, लेकिन दिल्ली (Delhi) के लिए अच्छी खबर है. राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 संक्रमण के मामले भले ही एक लाख से ऊपर पहुंच चुके हों, लेकिन कोरोना संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली इकलौता ऐसा क्षेत्र है, जहां पिछले एक हफ्ते से सक्रिय मामलों की संख्या में कमी आ रही है.
राष्ट्रीय स्तर से बेहतर औसत है दिल्ली का
अगर आंकड़ों की भाषा में बात करे तो 3 जुलाई को दिल्ली में सक्रिय 26,304 मामले थे जो 10 जुलाई की सुबह 18 प्रतिशत घटकर 21,567 पर आ गए. खास बात यह है कि इसी अवधि के दौरान राष्ट्रीय स्तर सक्रिय मामलों की संख्या में 21.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. एक हफ्ते पहले के मुकाबले देश में सक्रिय मामलों की संख्या में करीब 50 हजार की बढ़ोतरी हुई है. जून के पहले हफ्ते में लॉकडाउन खुलने के बाद दिल्ली में तेजी से मामले बढ़े थे, लेकिन समग्र प्रयासों से इन पर उतनी ही तेजी से काबू पाया गया.
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होम आइसोलेशन से भी थमा संक्रमण
सक्रिय मामलों में कमी के लिए बहुत हद तक कोरोना जांच में तेजी और आइसोलेशन रहा है. दिल्ली में सबसे ज्यादा कंटेनमेंट जोन हैं. इसने भी संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद की. शुरुआती दौर में कोरोना के संदिग्ध मरीज डर की वजह से परीक्षण से कतरा रहे थे. ऐसे में दिल्ली में होम आइसोलेशन की शुरुआत की गई. इसके अलावा मरीजों की काउंसिलिंग से भी उन्हें पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद मनास्थिति के लिहाज से सकारात्मक बनाए रखा गया.
परीक्षण में तेजी
दिल्ली में भारत के किसी अन्य राज्य की तुलना में कोरोना टेस्ट की दर काफी है. जून से पहले भी दिल्ली में प्रति लाख की आबादी पर 10,500 कोरोना टेस्ट हो रहे थे. समय के साथ जैसे-जैसे लोगों में कोरोना को लेकर झिझक और डर खत्म हुआ टेस्ट में तेजी आती गई. लॉकडाउन खुलने यानी जून के पहले सप्ताह में हॉट स्पॉट समेत अन्य क्षेत्रों में 5,500 टेस्ट हो रहे थे. मध्य जून आते-आते केंद्र सरकार के सहयोग से जांच का दायरा बढ़ा कर 11 हजार टेस्ट प्रतिदिन पर आ गया. अब तो जुलाई के पहले हफ्ते में 21 हजार टेस्ट रोजाना की दर से हो रहे हैं.
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अस्पताल में बढ़ाए गए बेड
जून की शुरुआत में दिल्ली में महज 8 निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों का इलाज हो रहा था. उस वक्त कुल मिलाकर महज 700 बेड ही उपलब्ध थे. इसके बाद केजरीवाल सरकार ने 40 या अधिक बेड वाले सभी निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 40 फीसदी बेड आरक्षित करने का आदेश पारित कर दिया. इसकी वजह से अस्पतालों में बेड की उपलब्धता अचानक से बढ़ गई. सरकारी अस्पतालों में बेड अलग से ही थे. जुलाई के पहले हफ्ते के आते-आते दिल्ली में 15 हजार से अधिक बेड उपलब्ध हैं. अच्छी बात यह भी है कि इनमें से सिर्फ 38 फीसदी ही मरीजों के इस्तेमाल में आए हैं. इसके अलावा एप और हेल्पलाइन के जरिये अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जानकारी ने मरीजों के विश्वास में इजाफा किया.
मृत्यु दर पर काबू
एक समय दुनिया में कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर 2 से 5 फीसदी चल रही थी. इसकी एक बड़ी वजजह यह भी थी कि मरीजों के खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जा रही थी. इसे देख दिल्ली सरकार ने 60 हजार के लगभग ऑक्सीमीटर खरीदे, जिन्हें घर पर आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को जरूरत पड़ने पर उपलब्ध कराया गया. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स भी जुटाए गए. इससे मरीजों की मृत्युदर में कमी आई. आकस्मिक स्थिति में मरीज को समुचित उपचार उपलब्ध कराने के लिए एंबुलेस की व्यवस्था की गई, जो सूचना मिलने पर मरीजों के पास 15 मिनट में पहुंच रही हैं.
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प्लाज्मा थैरेपी से रोक
इसके साथ ही दिल्ली में प्लाज्मा बैंक भी शुरू किया. सरकार के नुमाइंदों द्वारा आम लोगों से सीधे संवाद कर न सिर्फ उनका हौसला बढ़ाया गया, बल्कि कोरोना संक्रमण को हराकर ठीक होकर आने लोगों से प्लाज्मा दान करने की भी अपील की गई. इसकी बदौलत कोरोना के उपचार को औऱ गति मिली. इसके अलावा कोरोना पर जनजागरण अभियान चलाकर दिल्ली में न सिर्फ सक्रिय मामलों में कमी लाई गई, बल्कि मृत्यु दर पर भी काफी हद तक नियंत्रण रखा गया.
HIGHLIGHTS
- दिल्ली में कोरोना के सक्रिय मामले 18 प्रतिशत घटकर 21,567 पर आ गए.
- राष्ट्रीय स्तर सक्रिय मामलों की संख्या में 21.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
- राजधानी में जुलाई के पहले हफ्ते में 21 हजार टेस्ट रोजाना की दर से हो रहे हैं.