Advertisment

सरकार का 100 दिन का कार्यकाल पूरी तरह से निराशावादी : AAP

आप के प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने प्रेस वार्ता करते हुए सरकार के 100 दिन के कार्यकाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के पहले 100 दिन के कामकाज ने उत्तराखंड के हर तबके को पूरी तरह से निराश किया है.

author-image
Deepak Pandey
New Update
AAP

आप के प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट( Photo Credit : News Nation)

Advertisment

आप के प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने प्रेस वार्ता करते हुए सरकार के 100 दिन के कार्यकाल पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के पहले 100 दिन के कामकाज ने उत्तराखंड के हर तबके को पूरी तरह से निराश किया है. भाजपा की यह सरकार 100 दिन का कार्यकाल में विकास के नाम पर खुद ही अपनी पीठ थपथपा कर खुशफहमी का शिकार हो रही है, लेकिन सरकार को जनता के आंसू नहीं दिखाई दे रहे हैं.

राज्य सरकार द्वारा आज के अखबारों में अपनी 100 दिन की उपलब्धि के बड़े बड़े विज्ञापनों में जो झूठ परोसा गया वह तो चैंकाने वाला है. सरकार ने इन विज्ञापनों में अपनी उपलब्धियों के रूप में 13 काम लिखे हैं, जिनमें मात्र चार काम ऐसे हैं जिनको यह सरकार अपने काम के रूप में गिना सकती है, बाकी के नौ कामों में 3 काम पिछली राज्य सरकारों के समय से चल रहे हैं तथा 6 काम केन्द्र सरकार द्वारा 2022 से पहले स्वीकृत किए गए हैं. ऐसा झूठ बोलने की हिम्मत ऐसी जुमलेबाजी करने का साहस उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहली बार धामी 2 सरकार ने किया है.

हमारा सवाल है कि जिस सरकार ने सत्तासीन होते ही कोरोना वॉयरियर्स को नौकरी से निकाल कर सड़कों पर आंदोलन करने के लिए मजबूर किया, जिस भाजपा ने फ्री राशन के नाम पर वोट लेकर सरकार बनते ही फ्री राशन कार्ड सरेंडर करने का फरमान जारी किया, जिस भाजपा ने किसान पेंशन के नाम पर जनता का वोट लेकर पेंशन की पात्रता के नाम पर पेंशन सरेंडर करने का फरमान जारी किया, जिस सरकार ने अपने गठन के पहले सप्ताह में 5000 से अधिक वन संविदा कर्मियों को बेरोजगार किया, जिस सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के बजाय और महंगाई को रोकने के लिए ठोस उपाय करने के बजाय डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि करने पर केंद्र सरकार का उत्साह वर्धन किया, जो सरकार आटा, दाल, चावल जैसी खाद्य वस्तुओं पर और बैंक खातों की निकासी पर जीएसटी का समर्थन कर रही है ऐसी सरकार कैसे सतत विकास का दावा कर सकती है.

उन्होंने आगे बताया कि जिस सरकार के संरक्षण में राज्य में बेरोजगारी चरम पर हो, जिस सरकार ने राज्य के बेरोजगार नौजवानों को रोजगार की तलाश में दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया है, जिस सरकार के राज में राज्य का संविदा कर्मी अपने भविष्य को असुरक्षित महसूस कर रहा है, जो सरकार गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद गैरसैण में ग्रीष्मकालीन सत्र आहूत कराने में विफल रही हो, जिस सरकार ने बजट में गैरसैण के ढांचागत विकास के लिए एक रुपये की धनराशि का प्रावधान न किया हो, ऐसी पहाड़ विरोधी सरकार अपने 100 दिन में कैसे समर्पण और प्रयास का दावा कर सकती है.

भाजपा की इस सरकार की अकर्मण्यता का सबूत है कि अपने 4000 करोड़ के लगभग धनराशि के अनुपूरक बजट से बड़ी धनराशि जो लगभग 5000 करोड़ है की धनराशि को विकास कार्यों में खर्च नहीं कर पाई. यही इसकी उपलब्धि है.

मंत्रियों और अधिकारियों में आपस में कोई तालमेल नहीं है मंत्रियों द्वारा नौकरशाही को गलत आदेशों को लागू करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. मंत्रियों और अधिकारियों के बीच के झगड़े सार्वजनिक होने के कारण राज्य की नौकरशाही असमंजस में है भाजपा की पिछली सरकार ने जो ट्रांसफर एक्ट विधानसभा में पारित करके बनाया था उसको लागू करने में सबसे ज्यादा अड़चन राज्य सरकार के मंत्री पैदा कर रहे हैं. उसका खामियाजा राज्य में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी भुगत रहे हैं. सरकार और कार्यपालिका के बीच में तालमेल की कमी राज्य के विकास में बाधक बन रही है.

पिछले 2 वर्षों में लॉकडाउन के कारण चार धाम यात्रा लगभग बंद रही. इस साल चार धाम यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे इसका सरकार को अनुमान लगाने के बाद यात्रा व्यवस्थाएं भी उसी तरह से चाक-चौबंद करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार द्वारा चार धाम यात्रा व्यवस्थाओं को ठीक न कर पाने के कारण मात्र 1 महीने में 200 से अधिक श्रद्धालुओं को मौत की नींद सोना पड़ा इससे पूरे देश में उत्तराखंड की बदनामी हुई है.

2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में आने और भाजपा को दो तिहाई से अधिक बहुमत मिलने के बाद राज्य की जनता को उम्मीद थी कि त्रिवेंद्र सरकार ने भू कानून में जो गलत बदलाव करके उत्तराखंड की पर्वतीय क्षेत्रों की जमीनों को बिकवाली पर लगा दिया था अब धामी टू सरकार इस बिकवाली पर रोक लगाने के लिए एक ऐसा भू कानून लाएगी जिससे उत्तराखंड के लोगों की भूमि सुरक्षित रह सके, जल जंगल जमीन पर अधिकार सुरक्षित हो सकेंगे, लेकिन इन 100 दिनों में धामी सरकार इस काम को करने में विफल साबित हुई.

राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. अपराधी दूसरे राज्यों में अपराध करने के बाद छुपने के लिये उत्तराखंड को सबसे सुरक्षित शरणस्थली मान रहे हैं. राज्य के अंदर हाल ही में नाबालिक लड़कियों के साथ बलात्कार की तीन घटनाओं ने राज्य को शर्मसार किया है. बागेश्वर, सहसपुर और रूडकी की घटना चिंता का विषय है. राज्य में नशे का कारोबार फलफूल रहा है, नौजवान नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं, इस पर रोकथाम के बजाय सरकार तानाशाह की तरह तुगलकी फरमान जारी कर रही है, जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगाम लगा रही है इसका ताजा उदाहरण है कि अब कोई भी जलूस राजभवन या मुख्यमंत्री आवास की तरफ नहीं जा सकेगा.

राज्य सरकार ने अपने पहले बजट में राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ाने के साथ राज्य के हर नागरिक को ₹ 74000 का कर्जदार बनाने की उपलब्धि हासिल की है. राज्य सरकार की देखरेख में राज्य में घोटालों की बाढ़ आई हुई है. सरकारी नौकरी में भर्तियों से लेकर राज्य में जगह-जगह घोटाले ही घोटाले हो रहे हैं. वीडियो भर्ती में घोटाला, वीपीडीओ भर्ती में घोटाला, सहकारी बैंक भर्ती में घोटाला, खनन में घोटाला, शराब ओवर रेटिंग में घोटाला को देखकर लगता है कि घोटाले अंजाम देने के अलावा सरकार का ध्यान किसी और काम पर नहीं है. पुलिस भर्ती में जिले का कोटा खत्म किये जाने में भी घोटाले की बू आरही है.

चारधाम यात्रा मार्गों से लेकर राज्य के अलग अलग इलाकों में हर दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर सरकारी अमला रोक लगा सकने में पूरी तरह बिफल साबित हो रहा है. राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा रही है. शिक्षा विभाग में ट्रांसफर उद्योग फल फूल रहा है. अपनों को हाँ गैरों को ना के सिद्धांत पर ट्रांसफर होने से कर्मचारियों में भारी असंतोष व्याप्त है.

परिसंपत्तियों का विवाद सुलझाने के नाम पर उत्तराखंड के हितों को गिरवी रख दिया गया है. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने पहले 100 दिन के कार्यकाल में राज्य की जनता को केवल निराशा ही नहीं किया बल्कि हतोत्साहित किया है प्रताड़ित किया है. सरकार 2022 के विधानसभा चुनाव के 100 दिन बाद अभी भी चुनावी मोड से बाहर निकलकर के जन सरोकारों पर काम करने के बजाए अब 2024 के चुनाव की तैयारी पर लग गई है. जनता देख रही है कि क्या मोदी जी की तरह धामी जी भी जुमलों की किताब पढ़ने में मशगूल हो गए. मुख्यमंत्री जी से लेकर सरकार में बैठे लोगों को जनता और जनसरोकार से कोई लेनादेना नहीं है, उनका मूलमंत्र है मोदी के नाम का जाप करो, उल्टे सीधे हथकंडे अपनाकर सत्ता हासिल करने के बाद भूलजाओ चुनाव में किये गए वादों को अपना उल्लू सीधा करो. आम आदमी पार्टी भाजपा सरकार के ऐसे चरित्र का विरोध करती है और करती रहेगी.

Source : News Nation Bureau

BJP AAP Jot Singh Bisht Uttarakhand AAP
Advertisment
Advertisment
Advertisment