गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मानहानि के मुकदमे के सिलसिले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका खारिज कर दी है. एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी. आम आदमी पार्टी के नेता ने मानहानि मामले की कार्यवाही को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जो गुवाहाटी की एक निचली अदालत के समक्ष निपटान के लिए लंबित है. असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने सोमवार को कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद सिसोदिया को पहले जारी किए गए समन के अनुसार, 19 नवंबर को निचली अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा.
सिसोदिया ने आरोप लगाया था कि सरमा ने मार्च 2020 में कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान अपनी पत्नी से जुड़ी एक कंपनी को पीपीई किट का अनुबंध दिया था और उसी के लिए अत्यधिक भुगतान किया था. 4 जून को उन्होंने कहा था, हिमंत बिस्वा सरमा ने अपनी पत्नी की कंपनी को ठेका दिया. उन्होंने पीपीई किट के लिए 990 रुपये का भुगतान किया, जबकि अन्य उसी दिन दूसरी कंपनी से 600 रुपये प्रति पीस के हिसाब से खरीदे गए. यह एक बहुत बड़ा अपराध है.
उस समय सिसोदिया ने यह भी दावा किया था कि ऐसा साबित करने के लिए उनके पास दस्तावेज हैं. इन आरोपों के जवाब में असम के सीएम सरमा ने गुवाहाटी के कामरूप (एम) जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में सिसोदिया के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया. निचली अदालत ने सिसोदिया को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए तलब किया था, जबकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने समन के खिलाफ गुवाहाटी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
महाधिवक्ता सैकिया ने कहा कि तीन दिन की सुनवाई के बाद भी उच्च न्यायालय को सिसोदिया की याचिका में योग्यता नहीं मिली. आदेश में कहा गया है, अदालत की सुविचारित राय है कि याचिकाकर्ता (सिसोदिया) मामले की कार्यवाही को रद्द करने के लिए कोई मामला नहीं बना पाया है (उसके खिलाफ दायर एक) जो गुवाहाटी में कामरूप (एम) सीजेएम अदालत के समक्ष निपटान के लिए लंबित है. इस तरह, यह याचिका विफल हो चुकी है और इसे खारिज किया जाता है.
Source : IANS