कुछ महीनों पहले दिल्ली विधानसभा के एक कमरे के अंदर से लाल किले को जोड़ने वाली एक सुरंग का पता चला था जो स्वतंत्रता सेनानियों को लाल किले से यहां लाने के लिए इस सुरंग का इस्तेमाल किया जाता था. अब विधानसभा में एक फांसी गृह की खोज का दावा किया जा रहा है. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने यह दावा किया है कि विधानसभा परिसर में फांसी घर मिला है. लंबे समय से बंद विधानसभा के एक हिस्से में दक दीवार तोड़ने पर ऐसी जगह सामने आई है. इससे पहले विधानसभा हॉल में एक सुरंग भी मिल चुका है, जिसे लेकर स्पीकर ने दावा किया था कि इसके जरिए क्रांतिकारियों को यहां लाकर फांसी दी जाती थी.
दिल्ली विधानसभा के स्पीकर राम निवास गोयल ने कहा कि 1912 में कोलकाता से राजधानी हटाकर, दिल्ली लाई गई थी. यह विधानसभा उस समय सेंट्रल लेजिसलेटिव असेंबली के नाम से जानी जाती थी. 1926 तक यहीं पर असेंबली रही, सभी तत्कालीन नेता मोतीलाल नेहरू, लाला लाजपत राय यहां बैठते थे. महात्मा गांधी भी यहां दो बार आ चुके हैं. 1926 में लोकसभा यहां से चली गई और उसके बाद इस जगह को कोर्ट में बदल दिया गया. तब लाल किले से क्रांतिकारियों को सुरंग के जरिए यहां लाया जाता था.
यहां के कर्मचारियों के बीच इसे लेकर बातचीत होती थी कि यहां एक सुरंग है और एक फांसी घर. जब वो सुरंग मिल गई, तो हमने फांसी घर ढूंढ़ना शुरू किया. 3 साल पहले इसके नीचे का दरवाजा मैंने खुलवाया था. लेकिन तब केवल साफ सफाई हुई थी. लेकिन अब इसकी एक दीवार हमने तुड़वाई है, ये दीवार नई दिख रही थी, केवल प्लास्टर था इसपर. अब इसमें फांसी घर दिख रहा है. यह जांच का विषय है कि यह दीवार कितनी पुरानी है, इसमें जिस लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है, वो कितनी पुरानी है.
अभी हमने किसी इतिहासकार से बात नहीं की है. हम उन्हें बुलाएंगे, पुरातत्व विभाग को भी इसे लेकर सूचित करेंगे. इसके नीचे के हिस्से में एक शौचालय है, उसे हम बंद कर रहे हैं और फांसी घर के समानांतर एक कैप्सूल लिफ्ट लगाने की योजना है. फांसी घर को शीशे से बंद रखेंगे, उसकी साफ-सफाई भी नहीं कराएंगे, ताकि उसकी असली स्थिति बरकरार रहे. सामने एक सीढ़ी भी बना रहे हैं, जिससे भी लोग आकर इसे देख सके. टूरिज्म की दृष्टि से दिल्ली विधानसभा को विकसित करने की हमारी योजना है.
Source : Mohit Bakshi