दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2006 के मुंबई बम विस्फोटों के एक दोषी की याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. दोषी ने सीआईसी के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जिसने प्रतिबंधित आतंकवादी समूह इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) पर विभिन्न राज्य सरकारों की रिपोर्ट देने के उसके आग्रह को खारिज कर दिया था. न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दिकी की याचिका पर गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा. सिद्दिकी को मौत की सजा सुनाई गयी थी और वह नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है.
उसने दलील दी कि गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की सरकारों की रिपोर्टों के अनुसार 11 जुलाई, 2006 के श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों को आईएम ने अंजाम दिया था. श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में मुंबई में वेस्टर्न लाइन की लोकल ट्रेनों में सात आरडीएक्स बमों में विस्फोट हुआ था और 189 लोगों की मौत हो गयी थी तथा 829 लोग घायल हो गये थे. सिद्दिकी ने वकील अर्पित भार्गव के माध्यम से दाखिल याचिका में दलील दी कि राज्य सरकार की रिपोर्ट प्रक्रिया के तहत केंद्र को भेजी गयीं ताकि आईएम को गैरकानून गतविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 के तहत प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित किया जा सके.
उसने कहा, ‘‘सभी राज्य सरकारों की उक्त कथित रिपोर्टों और बैकग्राउंड नोटों में यह उल्लेख किया गया है और साबित होता है कि 11 जुलाई के विस्फोट को इंडियन मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था.’’ याचिका में कहा गया, ‘‘इस तरह उक्त कथित रिपोर्ट याचिकाकर्ता की बेगुनाही तथा याचिकाकर्ता के मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात भी साबित करेंगी.’’ सिद्दिकी का दावा है कि उसे मामले में गलत तरह से फंसाया गया जो उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
Source : Bhasha