कांग्रेस (Congress) की पूर्व पार्षद इशरत जहां (Ishrat jahan) की जमानत अर्जी खारिज करते हुए एडिशनल सेशन जज नवीन गुप्ता ने कई अहम टिप्पणी की हैं. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में दर्ज तथ्य और अब तक की जांच से साफ है कि भीड़ में शामिल लोगों के पास पिस्टल थी. उन्होंने पथराव किया और लोगों को भड़काया. सुप्रीम कोर्ट के दिये पुराने फैसलों में दी गई व्यवस्था के मुताबिक ये 'unlawful assembly' थी. इस एक साझे मकसद के साथ आरोपी समेत इस भीड़ ने पुलिस पर गोली और पत्थर चलाये. कोर्ट की टिप्पणी को इस केस की मेरिट पर कोई राय न मानी जाए, ये सिर्फ जमानत की अर्जी पर विचार करते हुए की गई टिप्पणी है.
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एडिशनल सेशन जज नवीन गुप्ता ने ज़मानत अर्जी खारिज करते हुए अपने फैसले में लिखा कि इस केस में आरोप संगीन हैं. जब कानून के रक्षक इस तरह से पब्लिक के सामने टारगेट किये जायेंगे, तो ये पुलिस अधिकारियों के सामर्थ्य को लेकर लोगों के विश्वास को कमज़ोर ही करेगा. कोर्ट ने माना कि महिला होने के बावजूद इशरत जहां जमानत की अधिकारी नहीं है.
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कोर्ट ने ये साफ किया कि कोर्ट की ज़मानत अर्जी खारिज करते हुए ये राय है कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही भीड़, जिसमे इशरत जहां भी शामिल थी, वो हिंसा पर उतारू थी. उन्होंने पुलिस पर न केवल पत्थर चलाये, बल्कि गोलियां भी चलाई. पुलिस को जैसे पब्लिक के सामने टारगेट किया गया, वो लोगों में पुलिस के विश्वास को ही कमजोर करेगा.
Source : Arvind Singh