पटियाला हाउस कोर्ट में मंगलवार को उस समय असहज स्थिति पैदा हो गई, जब एक दोषी मुकेश की मां ने निर्भया की मां से कहा- आप भी मां हो, मैं भी मां हूं, मेरे बेटे को माफी दे दो. इस पर जज और वकीलों ने उन्हें टोका. कहा- ऐसी बातें यहां मत कीजिए. पटियाला हाउस कोर्ट मंगलवार को निर्भया केस के दोषियों की डेथ वारंट जारी कर दिया. 22 जनवरी को चारों दोषियों को फांसी से लटकाया जाएगा.
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पटियाला हाउस कोर्ट में मंगलवार को निर्भया केस की सुनवाई शुरू होते ही वकील एमएल शर्मा ने कहा कि वो इस केस में मुकेश की पैरवी कर रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा, आपको सूचना दी गई, लेकिन आपकी ओर से कोई जवाब नहीं आया. अब एमिकस क्युरी वृंदा ग्रोवर उनकी ओर से पेश हो रही हैं. आपकी अनुपस्थिति के चलते उन्हें पैरवी करने को कहा गया है. जज ने एमएल शर्मा से कहा -आपने अपने क्लाइंट से संपर्क क्यों नहीं किया. जब तक आप वक़ालतनामा दाखिल नहीं करते, तब तक आप इस केस से बाहर हैं. सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोपहर बाद 3:30 बजे तक के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया.
एमिकस क्युरी वृंदा ग्रोवर ने कहा, इस मामले में दोषियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पेशी हो जाए, ताकि ये तय हो जाए कि वो किसकी पैरवी चाहते हैं. सरकारी वकील ने विरोध करते हुए कहा, अभी तक दोषियों की कोई अर्जी सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति के सामने पेंडिंग नहीं है. इसलिए डेथ वारंट जारी किया जाए. क्यूरेटिव पिटीशन का यहां कोई स्कोप नहीं है. वो अर्जी तब ही दाखिल हो सकती है, जब रिव्यू ओपन कोर्ट में सुनी न गई हो.
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सरकारी वकील ने कहा, सभी दोषियों की रिव्यू पिटीशन खारिज हो चुकी है. अभी तक किसी दोषी की ओर से क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल नही हुई है. रास्ट्रपति के सामने भी दया याचिका दायर नहीं की गई है. लिहाजा अभी कोई अर्जी उनकी पेंडिंग नहीं है. ऐसी सूरत में कोर्ट डेथ वारंट जारी कर सकता है. सरकारी वकील ने सीआरपीसी के सेक्शन 413 का हवाला देते हुए कहा- डेथ वारंट जारी होने से केस खत्म नहीं जाएगा . वारंट जारी होने पर भी क्यूरेटिव पिटीशन दायर हो सकती है. अगर दोषी चाहे तो वो वारंट के खिलाफ कोर्ट का रुख भी कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि 2018 से यह अर्जी यहां पेंडिंग है. दोषियों की ओर से जान-बूझकर सज़ा को लटकाने की कोशिश की जा रही है.
इस पर एमिकस क्युरी वृंदा ग्रोवर ने कहा, कम से कम क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का वक़्त मिलना चाहिए. उसके बिना डेथ वारंट नहीं जारी किया जा सकता. उसके लिए दस्तावेज चाहिए. एमिकस क्युरी वृंदा ग्रोवर ने कहा, तिहाड़ जेल प्रशासन ने अपने नोटिस में दोषियों को ग़लत सूचित किया कि उनके पास रास्ट्रपति के सामने केवल दया याचिका दायर करने का विकल्प है. दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने के विकल्प के बारे में जानकारी नहीं थी.
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वकीलों की ओर से अभी सुप्रीम कोर्ट के पुराने फ़ैसलों का हवाला दिया जा रहा है. सरकारी वकील कह रहे हैं कि डेथ वारंट जारी होने और फांसी की सज़ा पर अमल के बीच 14 दिन का वक़्त दिया जाना चाहिए, वो दे दिया जाए. वृंदा ग्रोवर ने कल तक का वक़्त दिये जाने की मांग की है, ताकि क़ानूनी राहत के विकल्पों के बारे में SC के पुराने फैसलों को देखा जा सके.
Source : Arvind Singh