हनुमान जयंती के मौके पर 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी में निकल रही शोभा यात्रा के दौरान हुई हिंसा की जांच कई एंगल पर चल रही है. इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए दिल्ली पुलिस ने अब अपनी अत्याधुनिक विंग इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) को भी जांच प्रक्रिया में शामिल कर लिया है. टीम का नेतृत्व डीसीपी केपी एस. मल्होत्रा करेंगे और इससे इस मामले में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने में मदद मिलेगी. गौरतलब है कि आईएफएसओ दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की सबसे बड़ी साइबर अपराध इकाई है, जिसने कई महत्वपूर्ण मामलों को सुलझाया है. जहांगीरपुरी हिंसा (Jahangirpuri Violence) के पीछे की पूरी साजिश का पदार्फाश करने के लिए हाल ही में जमानत या पैरोल पर रिहा हुए गैंगस्टरों की एक सूची तैयार की गई है.
वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने में मिलेगी मदद
एक सूत्र ने कहा, 'आईएफएसओ टीम हमें डिजिटल और वैज्ञानिक साक्ष्य इकट्ठा करने में मदद करेगी. यह आरोपी व्यक्तियों के मोबाइल फोन से चैट और अन्य डेटा को पुन: प्राप्त करेगी, जो जहांगीरपुरी में झड़प के कारणों और उसके जिम्मेदार की तस्वीर और साफ करेगी.' सूत्र ने कहा कि पुलिस को यह जानने की जरूरत है कि हथियार कहां से और कैसे खरीदे गए. वे यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या जहांगीरपुरी हिंसा के ज्यादातर आरोपी एक-दूसरे से जुड़े थे और उनका नेतृत्व कौन कर रहा था?
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गैंगस्टर्स पर भी है संदेह
पुलिस ने यह भी दावा किया है कि जांच के दौरान पता चला है कि लगभग 20 गैंगस्टर भीड़ को उकसा रहे थे और उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के प्रयास जारी हैं. दिल्ली पुलिस की 20 से ज्यादा टीमें फिलहाल इस मामले की जांच कर रही हैं. इसके साथ ही दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जहांगीरपुरी हिंसा के पीछे की पूरी साजिश का पदार्फाश करने के लिए हाल ही में जमानत या पैरोल पर रिहा हुए गैंगस्टरों की एक सूची तैयार की है. जांच से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि रिहा किए गए गैंगस्टर हिंसा में शामिल थे या नहीं.
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क्राइम ब्रांच ने बनाई है सूची
सूत्र ने बताया कि क्राइम ब्रांच कई थ्योरी पर काम कर रही है. उनमें से एक यह था कि यह एक बड़ी साजिश थी और मुख्य आरोपी अंसार और इमाम उर्फ सोनू को अन्य लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था. दूसरी थ्योरी यह थी कि अंसार जुलूस में शामिल लोगों से निपटने में मदद करने के लिए गैंगस्टरों को लामबंद कर रहा था. क्राइम ब्रांच की टीम को कुछ ठोस पता चलने पर वे रिहा किए गए गैंगस्टरों को जांच में शामिल होने के लिए बुलाएंगे. ऐसे में अपराध शाखा अपने मामले को पुख्ता करने के लिए वैज्ञानिक और डिजिटल सबूत जुटाने के लिए स्पेशल सेल और उसकी आईएफएसओ विंग की मदद ले रही है.
HIGHLIGHTS
- हिंसा के वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए आईएफएसओ की मदद
- क्राइम ब्रांच ने इलाके के कुख्यात गैंगस्टर्स की भी सूची तैयार की
- दिल्ली पुलिस की 20 से ज्यादा टीमें फिलहाल जांच में हैं जुटी