जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के विरोध प्रदर्शन और पुलिस द्वारा उनकी पिटाई के बाद अब कई छात्राएं इस घटनाक्रम से बुरी तरह डर गई हैं. सोमवार सुबह कई छात्राओं ने हॉस्टल खाली कर दिए. ये छात्राएं अब अपने घर लौट रही हैं. छात्रावास से अपने जरूरी सामान लेकर ये छात्राएं अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गईं. सानिया नामक एक छात्रा ने बताया की फिलहाल वह और उनकी अन्य साथी इस हिंसक माहौल में स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. छात्राओं ने बताया कि रविवार की घटना के बाद उनके परिजन भी बुरी तरह डर गए हैं.
विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर बने हालात के बाद परिजन लगातार इन छात्राओं से संपर्क में हैं और उन्हें घर लौटने के लिए कह रहे हैं. इनमें से कई छात्राएं इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं रही हैं. गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पांच जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया गया है. इसके साथ ही यहां होने वाली परीक्षाओं को भी टाल दिया गया है. यही कारण है कि अब यह छात्राएं हिंसक झड़पों से बचने के लिए अपने-अपने घर जा रही हैं.
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दूसरी तरफ नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act 2019) पर देश भर में आंदोलन की आंच और दिल्ली (Delhi) के जामियानगर (Jamia Nagar) में हुई हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जय सिंह (Indira Jai Singh) ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (CJI SA Bobde) की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय (Jamia Milia Islamia University) और एएमयू (AMU) का मामला उठाया.
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वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि वह इस मुद्दे पर संज्ञान ले. जय सिंह ने कहा, देश भर में इस तरह गंभीर तरीके से मानवाधिकारों (Human Rights) का उल्लंघन हो रहा है. इस मामले को सुनते हुए सीजेआई एसए बोबडे बोले, 'हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे, लेकिन दंगों के माहौल में नहीं. सबसे पहले दंगों को रोका जाना चाहिए और फिर हम इस पर संज्ञान लेंगे. हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं.'
Source : IANS