शाहीन बाग (Shahin Bagh) में नागिरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Act-CAA) को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandits) अपने लिए समर्थन मांगा. घाटी से जबरन बेदखल करने के बाद, पिछले 30 वर्षो से अपनी खुद की दुर्दशा को उजागर करने और अपने कारण के लिए समर्थन प्राप्त करने हेतु कश्मीरी पंडित रविवार को शाहीन बाग में जुटे. नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध की भावना का जश्न मनाने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा 19 जनवरी को 'जश्न-ए-शाहीन' कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, जिसमें कविता और गीतों के नाम एक शाम का आयोजन किया गया.
कश्मीरी पंडितों और ट्विटर के एक वर्ग ने इस आयोजन को 'कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार' के तहत मनाने की बात कही है.
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एक कश्मीरी कार्यकर्ता सतीश महालदार ने कहा, "शाहीन बाग में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने 'जश्न-ए-शाहीन' कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा की है. इसी दिन 30 साल पहले कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर किया गया था. हम यह सुनिश्चित करेंगे की यह कार्यक्रम न हो. हम शाम में प्रदर्शन स्थल पर पलायन दिवस मनाने के लिए पहुंचें."
कश्मीरी पंडित प्रदर्शनकारियों से अनुरोध करेंगे कि वह उनके भले के लिए भी अपनी आवाज उठाएं. शाहीन बाग एक महीने से अधिक समय से सीएए को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया है.
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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सीएए एक विशेष समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है. इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- शाहीन बाग में CAA को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से कश्मीरी पंडितों ने अपने लिए समर्थन मांगा.
- पिछले 30 वर्षो से अपनी खुद की दुर्दशा को उजागर करने और अपने कारण के लिए समर्थन प्राप्त करने हेतु कश्मीरी पंडित रविवार को शाहीन बाग में जुटे.
- नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध की भावना का जश्न मनाने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा 19 जनवरी को 'जश्न-ए-शाहीन' कार्यक्रम की घोषणा की गई थी.