दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कोविड-19 के मरीजों को पांच दिन तक संस्थागत पृथक-वास में रखने के उपराज्यपाल अनिल बैजल के आदेश का शनिवार को विरोध करते हुए सवाल किया कि दिल्ली में अलग नियम क्यों लागू किया जा रहा है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. इस बीच, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि उपराज्यपाल के आदेश को लेकर डीडीएमए की बैठक में सर्वसम्मति नहीं बन पाई.
उपराज्यपाल दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक में निजी अस्पतालों के बिस्तरों को बुक कराने की दर और घर में पृथक-वास को समाप्त करने के उपराज्यपाल के आदेश पर सहमति नहीं बन सकी और अब शाम पांच बजे दोबारा बैठक होगी. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली सरकार ने घर में पृथक-वास नियम खत्म करने के संबंध में उपराज्यपाल के आदेश का विरोध किया है और इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. शाम को फिर चर्चा होगी.’’
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सिसोदिया ने एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘केंद्र सरकार ने निजी अस्पतालों में केवल 25 प्रतिशत बिस्तरों को सस्ता करने की सिफारिश की है, जबकि दिल्ली सरकार कम से कम 60 प्रतिशत बिस्तरों को बुक कराने की दर सस्ती किए जाने पर अड़ी है.’’ उन्होंने शनिवार को बैठक से कुछ ही मिनट पहले कहा था कि दिल्ली सरकार घर में पृथक-वास का नियम ‘‘रद्द करने’’ के उपराज्यपाल के आदेश का डीडीएमए की बैठक में विरोध करेगी. उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि यह आदेश आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है और इससे दिल्ली में ‘‘अफरा तफरी’’ पैदा हो जाएगी.
सिसोदिया ने ट्वीट किया था, ‘‘दिल्ली राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की बैठक दोपहर 12 बजे होगी. हम घर में पृथक-वास को रद्द करने के उपराज्यपाल के आदेश का विरोध करेंगे और इसे बदलने की मांग करेंगे. घर में पृथक-वास के कार्यक्रम को रद्द करने का यह आदेश आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के विपरीत है और इससे दिल्ली में अफरातफरी पैदा हो जाएगी.’’
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सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल ने डीडीएमए की बैठक में कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पूरे देश में बिना लक्षण वाले और मामूली लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों को घर में पृथक-वास में रहने की अनुमति दी है, तो दिल्ली में अलग नियम क्यों लागू किया गया. सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल ने बैठक में कहा, ‘‘कोरोना वायरस से संक्रमित अधिकतर मरीजों में संक्रमण के लक्षण नहीं हैं या उनमें मामूली लक्षण हैं. उनके लिए प्रबंध कैसे किए जा सकेंगे. रेलवे ने पृथक-वास के लिए जो कोच मुहैया कराए हैं, उनके भीतर इतनी गर्मी है कि मरीज वहां नहीं रह सकते.’’
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शुक्रवार को आदेश दिया था कि कोविड-19 के प्रत्येक मरीज के लिए घर में पृथक-वास की जगह पांच दिन संस्थागत पृथक-वास केंद्र में रहना जरूरी होगा. दिल्ली सरकार ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि यह ‘‘मनमाना’’ आदेश है और इससे पहले से ही दबाव झेल रही स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर बोझ बढ़ेगा. दिल्ली में शुक्रवार तक कोरोना वायरस संक्रमण के 53,116 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 27,512 लोगों का उपचार चल रहा है.
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राष्ट्रीय राजधानी में 10,490 लोग घर में पृथक-वास में रह रहे हैं और अस्पतालों में 10,961 बिस्तरों में से 5,078 बिस्तर अभी खाली हैं. इस बीच, आप नेता संजय सिंह ने उपराज्यपाल के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र ‘‘तानाशाही’’ कर रहा है. सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्र की भाजपा सरकार तानाशाही पर उतारू है. जो लोग अपने घरों में ठीक हो सकते हैं, भाजपा उन्हें 47 डिग्री सेल्सियस की तपती गर्मी में रेल डिब्बों में क्यों रखना चाहती है? भाजपा के नेता रेल डिब्बों की आग भट्टी में दो दिन रहकर दिखाएं.’’
Source : Bhasha