Kejriwal Vs Delhi LG: दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच चल रही अधिकारों की जंग में एक बार फिर AAP की जीत हुई है. उपराज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दरअसल मंगलवार को देश की शीर्ष अदालत में आम आदमी पार्टी की ओर से दाखि याचिका पर अहम सुनवाई हुई. इस याचिका में सर्वोच्च न्यायालय में दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन यानी DERC के प्रमुख के शपथ ग्रहण समारोह को रोके जाने की अपील की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने आप की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस डीईआरसी के चेयरपर्सन के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगा दी है. इस रोक के साथ ही एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से उपराज्यपाल को निराशा हाथ लगी है.
शीर्ष अदालत की ओर से दिए गए आदेश के मुताबिक डीईआरसी के पद पर नियुक्त जस्टिस उमेश कुमार 11 जुलाई तक शपथ ग्रहण नहीं कर सकेंगे. बता दें कि न्यायाधीश उमेश कुमार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 21 जून को डीईआरसी के चेयरपर्सन के पद पर नियुक्त किया था. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है. लिहाजा उपराज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से सुप्रीम दरवाजा खटखटाया गया. AAP ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इस नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की.
DERC chairman row | Delhi government tells Supreme Court that it gives free power up to 200 units to the poor. It's the most popular scheme in Delhi and by appointing its own chairman LG wants to stop free electricity, the Delhi government alleges. pic.twitter.com/Jsakfwhtj3
— ANI (@ANI) July 4, 2023
सर्वोच्च न्यायालय ने आप की याचिका पर मंगलवार यानी 4 जुलाई को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस नियुक्ति का अधिकार एलजी वीके सक्सेना के पास नहीं है. वह इस पद पर नियुक्ति नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही कोर्ट की ओर से इस नियुक्ति पर रोक लगाने के साथ ही शपथ ग्रहण समारोह को लेकर भी 11 जुलाई तक रोक लगा दी है.
क्या थी दिल्ली सरकार की दलील
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने डीईआरसी चेयरमैन की पोस्टिंग को एक साजिश बताया था. सरकार का कहना था कि गरीबों के लिए राजधानी में जो 200 यूनिट फ्री बिजली की स्कीम चलाई जा रही है, उपराज्यपाल इस स्कीम को खत्म करना चाहते हैं. यही वजह है कि वे इस पद पर अपने किसी व्यक्ति को बैठाकर इस लोकप्रिय योजना को समाप्त करने की प्लानिंग कर रहे हैं.
बहरहाल राजधानी पर वर्चस्व की लड़ाई में लगातार दिल्ली सरकार vs उपराज्यपाल की जंग में अब तक तो जीत दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार की ही हो रही है. जल्द ही केंद्र के अध्यादेश को लेकर भी तस्वीर साफ होने वाली है. तब तक के लिए सुप्रीम कोर्ट का ये निर्णय AAP के लिए एक बड़ी राहत और ऑक्सीजन का काम कर सकता है.