MCD Alderman Appointment Case: दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने प्रश्न खड़ा किया कि क्या स्थानीय निकाय में विशेष ज्ञान रखने वाले लोगों का नामांकन केंद्र सरकार के लिए बड़ी चिंता है. इसके साथ एलजी को लेकर अदालत ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल दफ्तर से इस संबंध में लिखित दलील जमा करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार एलजी को देकर वह लोकतांत्रिक तरीके से चुनी एमसीडी को अस्थिर कर सकते हैं.
एलजी की भूमिका एक सलाहकार की होती थी
बीती सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने का कहना था कि बीते 30 साल से एल्डरमैन को दिल्ली सरकार ही नियुक्त करती रही है. इस दौरान एलजी की भूमिका एक सलाहकार की होती थी. ऐसा पहली बार हो रहा है, जब उप-राज्यपाल ने एल्डरमैन की नियुक्ति की. ये नियम के पूरी तरह से खिलाफ है. दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की गई दलील में ये कहा गया कि दिल्ली में इससे पहले भी केंद्र और राज्य की दो अलग-अलग पार्टी की सरकारें थीं. मगर कभी भी ऐसा हुआ ही नहीं.
नियुक्ति को लेकर उठाया कदम बिल्कुल सही: एलजी
वहीं एलजी की ओर दलील दी गई है कि एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर उठाया कदम बिल्कुल सही है. एमसीडी में एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को नहीं मिला है. इस मामले में अनुच्छेद 239 एए का हवाला दिया गया. इसके तहत कैबिनेट की सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती है. गौरतलब है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल की शक्तियों पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सुनाया था. इस निर्णय के तहत दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार चुनी हई सरकार के पास ही होना जरूरी है. इसके साथ कोर्ट ने यह भी कहा कि हर निर्णय में राज्य सरकार से उपराज्यपाल को बातचीत करनी चाहिए. इसके साथ उनकी राय जरूर ली जाए.
HIGHLIGHTS
- एलजी को लेकर अदालत ने सख्त टिप्पणी की है
- उप-राज्यपाल दफ्तर से लिखित दलील जमा करने का आदेश
- 30 साल से एल्डरमैन को दिल्ली सरकार ही नियुक्त करती रही है: सिंघवी