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K. Kavitha को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, जानें क्या था मामला?

दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीआरएस नेता के. कविता को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है, जहां अदालत ने उन्हें जमानत प्रदान करते हुए मामले में निष्पक्षता की जरूरत पर जोर दिया.

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Ritu Sharma
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MLC K Kavitha

के. कविता

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MLC Kavitha Bail: दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत देते हुए कहा कि गवाही हो चुकी है और आरोप पत्र दाखिल हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसी के कंडक्ट पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा कविता के खिलाफ की गई टिप्पणी को अनुचित ठहराया. इस पर एएसजी एसवी राजू ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कोई भी अप्रासंगिक बात नहीं कही थी.

अभियोजन की निष्पक्षता पर सवाल

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभियोजन निष्पक्ष होना चाहिए और किसी भी आरोपी के मामले में ''पिक एंड चूज'' यानी मनमाने तरीके से कार्रवाई नहीं की जा सकती. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि यदि अनुमोदकों के बयान लिए जाएं तो उनकी भूमिका भी कविता जितनी ही हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभियोजन की निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए और किसी एक आरोपी को चुनकर उसकी गिरफ्तारी करना न्याय संगत नहीं है. न्यायालय ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है, आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और सुनवाई जल्द पूरी होने की संभावना नहीं है. इसके अलावा, यह मामला एक महिला से संबंधित है, जो जमानत की हकदार है.

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जमानत पर विस्तृत बहस से परहेज

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत पर विस्तृत बहस से परहेज किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि कविता को जमानत देना उचित है क्योंकि वह कहीं भागने की संभावना नहीं है. बीआरएस नेता के वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल ने ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में जमानत मांगी है और वह एक राजनीतिक नेता हैं, जो किसी भी तरह से न्याय से भागेंगी नहीं.

फोन फॉर्मेटिंग का मुद्दा

इसके अलावा आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान, एएसजी एसवी राजू ने कविता पर फोन नष्ट करने और फॉर्मेट करने का आरोप लगाया, जिस पर वकील रोहतगी ने आपत्ति जताई. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि फोन एक निजी चीज है और इसमें व्यक्तिगत संदेश हो सकते हैं, जिन्हें हटाने का अधिकार किसी को है. जस्टिस गवई ने कहा कि इतने सारे वकीलों के पास 2-3 फोन हैं, तो फोन फॉर्मेट करना कोई बड़ी बात नहीं है. एएसजी ने कहा कि कविता का आचरण सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को धमकी देने वाला है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.

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