दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुसलमानों में बहुविवाह प्रचलित नहीं है और समुदाय की अधिकतर महिलाएं ‘तीन तलाक’ पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय का समर्थन करती हैं. आयोग ने यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए अपने अध्ययन में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के 30 इलाकों की 600 महिलाओं से बात की. राष्ट्रीय राजधानी में सबसे अधिक मुसलमान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में ही रहते हैं.
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अध्ययन में पाया गया कि यहां समुदाय में एकल विवाह का प्रचलन है और तलाक के मामले बहुत कम हैं. रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष न्यायालय के तीन तलाक पर दिए निर्णय से अवगत होने के बारे में पूछे जाने पर अध्ययन में शामिल की गई 93 प्रतिशत महिलाओं ने ‘‘हां’’ में जवाब दिया. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ उनका मानना है कि अधिकतर महिलाएं जो न्यायालय के निर्णय से अवगत हैं, उन्होंने उसका स्वागत किया.
साथ ही, कुछ महिलाओं ने कहा कि इस निर्णय से मुस्लिम महिलाओं को एक नया जीवन मिला है.’’ इसमें कहा गया है कि केवल कुछ ही महिलाओं ने कहा , ‘‘ न्यायालय का चाहे जो भी निर्णय हो, उनकी संस्कृति में जो प्रथा चली आ रही है वह जारी रहेगी.’’
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उच्चतम न्यायालय ने 2017 में दिए अपने एक निर्णय में तीन तलाक की प्रथा को ‘‘असंवैधानिक’’ करार दिया था. डीएमसी के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि तीन तलाक का कुछ ‘‘अज्ञानी’’ पुरुषों ने ही इस्तेमाल किया. अध्ययन के हिस्से के तौर पर ‘डेवलपमेंट ओरिएंटेड ऑपरेशंस रिसर्च एंड सर्वे’ (डीओओआरएस) ने जनवरी और फरवरी में महिलाओं से उनके विचार पूछे थे.
इनमें से 66.3 प्रतिशत महिलाएं विवाहित थी और इन सभी के एक विवाह हुए थे. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ यह दर्शाता है कि मुसलमानों में बहुविवाह प्रचलित होने की धारणा गलत है. अध्ययन में हिस्सा लेने वाली सभी महिलाओं का मानना था कि बहुविवाह गलत है.’’
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रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 600 महिलाओें में से किसी का भी बहुविवाह नहीं हुआ था और तलाक का भी कोई मामला सामने नहीं आया. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली में उत्तर-पूर्वी जिले में सबसे अधिक 29.34 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है.
Source : Bhasha