दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा के करीब अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का जो सपना इस पूरे इलाके के लोगों ने पाला था अब वह टूट सकता है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि किसान अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है। वहीं, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार इस मुद्दे पर सख्त रुख अपना रही है। बता दें कि दिल्ली के करीब दूसरे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बन जाने के बाद दिल्ली और एनसीआर के लाखों हवाई यात्रियों को काफी फायदा होता। वर्तमान में दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां पर आने जाने में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक जाम की समस्या से तो अमूमन रोज ही दोचार होना पड़ता है जबकि हवाई अड्डे में हवाई जहाज की आवाजाही में भी कई बार जाम की खबरें आती हैं। इंदिरा गांधी हवाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा वर्तमान में दुनिया के तीसरे सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डा है.
किसानों की नाराजगी देखते हुए योगी सरकार ने कुछ दिन पहले कहा था कि यदि किसान नहीं मानेंगे तब सरकार एयरपोर्ट की परियोजना को रद्द कर देगी। लेकिन हाल ही में सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए किसानों पर जमीन अधिग्रहण का दबाव बना दिया है। इससे ज़ेवर एयरपोर्ट को लेकर किसान और प्रशासन में ठन गई है। प्रशासन ने किसनों को सरकार द्वारा स्वतः अधिग्रहण का नोटिस थमा दिया है। सरकार के इस रुख के कारण किसानों की ओर से कहा जा रहा है कि यदि ज़मीन ज़बरन ली गई तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे। कुछ किसानों का कहना है कि उन्हें एयरपोर्ट नहीं चाहिए।
जेवर एयरपोर्ट का प्रस्तावित नक्शा
बता दें कि उत्तर-प्रदेश की महत्वाकांक्षी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा परियोजना पर रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। इस एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों से बात नहीं बनी तो सरकार इस परियोजना को छोड़ सकती है। यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रभात कुमार ने हाल ही में बताया, ‘हमने जेवर हवाई अड्डा परियोजना के लिए प्रस्तावित इलाके में पड़ने वाले छह गांवों के प्रधानों और करीब 100 किसानों से मुलाकात करके उन्हें जमीन के प्रस्तावित खरीद मूल्य और अन्य लाभों के बारे में बताया है। अगर वे हवाई अड्डे के लिए जमीन देने को तैयार नहीं होते तो यह परियोजना रद्द भी हो सकती है।’
कुमार ने कहा था, ‘किसानों को आश्वस्त किया गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के मुताबिक जमीन उनकी मर्जी के बगैर नहीं ली जाएगी। किसान हमारे प्रस्ताव पर विचार करने के बाद हमें अपने निर्णय के बारे में बताएंगे। हमें अच्छे परिणाम की उम्मीद है।’
उन्होंने बताया कि जेवर एयरपोर्ट के निर्माण के लिए किसानों को 2300 से 2500 रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से जमीन का मुआवजा दिए जाने की पेशकश की गई है। प्रदेश सरकार पहले चरण में आठ गांवों- रोही, परोही, बनवारीबस, रामनेर, दयानतपुर, किशोरपुर, मुकीमपुर शिवरा और रणहेरा में 1441 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है।
सरकार इस परियोजना के लिए कुल पांच हजार हेक्टेयर जमीन लेना चाहती है। करीब 15 से 20 हजार करोड़ की लागत से प्रस्तावित इस हवाई अड्डे पर विमान सेवाओं का संचालन वर्ष 2022-23 तक शुरू होने की उम्मीद की जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया तो अगले महीने ही जमीन की खरीद पूरी कर ली जाएगी और किसानों को फौरन भुगतान कर दिया जाएगा।
अक्टूबर में इस परियोजना के निर्माण की शुरुआत भी कर दी जाएगी। जेवर हवाई अड्डे की परिकल्पना सबसे पहले वर्ष 2001 में राजनाथ सिंह के यूपी का सीएम रहने के दौरान की गई थी। तब से अब तक यह परियोजना कई बाधाओं को पार कर चुकी है। खासतौर पर केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच मतभेद से परियोजना को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
हालांकि, बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के बाद यह परियोजना अधर में लटक गई थी। साल 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने परियोजना को फिर से शुरू करने की कोशिश की, लेकिन केन्द्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने कथित रूप से यह कहते हुए इस पर आपत्ति जताई थी कि इससे दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी हवाई अड्डे का कारोबार प्रभावित होगा।
Source : News Nation Bureau