तिहाड़ जेल के अधिकारी निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में सभी चारों दोषियों को फांसी देने की तारीख तय करने के लिए शनिवार को पटियाला हाउस अदालत का रुख करेंगे. महानिदेशक (जेल) संदीप गोयल ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा विनय कुमार शर्मा की दया याचिका खारिज किए जाने के बाद तिहाड़ जेल प्रशासन सभी चारों दोषियों को फांसी देने की तारीख तय करने के लिए पटियाला हाउस अदालत जा रहा है.
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तिहाड़ में बंद निर्भया मामले के दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दी जानी थी, लेकिन दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को फांसी की सजा अनिश्चितकाल के लिए टाल दी. पवन, विनय और अक्षय के वकील एपी सिंह ने दलील दी कि उनके कानूनी विकल्प के रास्ते अब भी बचे हैं, इसलिए फांसी की तारीख अनिश्चित है. अभी तक दोषी मुकेश सारे कानूनी विकल्प अपना चुका है.
उसकी दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी और राष्ट्रपति के इस फैसले के खिलाफ उसकी अपील उच्चतम न्यायालय ने 29 जनवरी को खारिज कर दी. विनय कुमार शर्मा और अक्षय की सुधारात्मक याचिकाएं शीर्ष अदालत खारिज कर चुकी है. तिहाड़ जेल के अधिकारिसों ने कहा कि दोषियों में से एक अक्षय ने शनिवार को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भेजी थी. इससे पहले, राष्ट्रपति ने आज विनय की दया याचिका खारिज कर दी.
बता दें कि फांसी की तारीख टालने के लिए निर्भया के दोषी अक्षय, विनय, पवन के वकील एपी सिंह ने याचिका दायर की थी. याचिका में दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित होने को आधार बनाया गया था. इससे पहले दोषी पवन ने भी सु्प्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. निर्भया के दोषी विनय, पवन और अक्षय ने एक फरवरी को डेथ वारंट को टालने के लिए दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस मामले में सुनवाई के दोषी के वकील एपीसिंह ने कहा कि विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है. ऐसे में जब तक उस पर फैसला नहीं आ जाता है फांसी नहीं दी जा सकती है.
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सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को उस मामले की सुनवाई पर भी सहमति देता जिसमें केंद्र ने दोषियों पर मामले को लटकाने का आरोप लगाया था. निर्भया गैंग रेप केस के दोषियों की ओर से लगातार फांसी की सजा टालने के लिए कोर्ट की रुख करने के बाद शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट इस बात पर सहमत हो गया है कि इस मामले में नए दिशा निर्देश तय किए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट फांसी की सज़ा के मामलों में पीड़ित और समाज के हित को ध्यान में रखते हुए दिशा निर्देश बनाए जाने की केंद्र सरकार की मांग पर भी सहमत हो गया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुनवाई के दौरान सरकार का कहना है कि 2014 में शत्रुघ्न चौहान केस में दिए SC के दिशा निर्देश दोषियों के लिए फांसी टलवाने के लिए हथकंडा बन गया है.