निर्भया Case: डेथ वारंट के खिलाफ कोर्ट पहुंचा दोषी मुकेश सिंह, आज होगी सुनवाई

निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Case) में दोषी मुकेश सिंह अब डेथ वारंट के खिलाफ कोर्ट पहुंच गया है.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
निर्भया Case: डेथ वारंट के खिलाफ कोर्ट पहुंचा दोषी मुकेश सिंह, आज होगी सुनवाई

निर्भया के दोषी मुकेश सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

Advertisment

निर्भया गैंगरेप केस में दोषी मुकेश सिंह अब डेथ वारंट के खिलाफ कोर्ट पहुंच गया है. मुकेश के एडवोकेट ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में डेथ वारंट के खिलाफ याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि दोषी को दया याचिका दायर करने का अधिकार है. याचिका में यह भी कहा गया कि जब दया याचिका खारिज हो जाए तो कानून दोषी को सुप्रीम कोर्ट जाने की इजाजत देता है. कोर्ट बुधवार को मुकेश सिंह की याचिका पर सुनवाई करेगा.

यह भी पढ़ेंःPM नरेंद्र मोदी ने देशवासियों के घरेलू बजट के टुकड़े-टुकड़े किए: राहुल गांधी

आपको बता दें कि इस मामले में चारों दोषियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. उन्हें 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाया जाएगा. इससे पहले निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार दोषियों में एक मुकेश कुमार ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दायर की. इसके कुछ ही देर पहले उच्चतम न्यायालय ने दो दोषियों की सुधारात्मक याचिकाएं खारिज करते हुए उनकी मौत की सजा के अमल पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.

वर्ष 2012 के इस सनसनीखेज अपराध के चारों दोषियों विनय शर्मा, मुकेश कुमार, अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता की मौत की सजा पर अमल के लिए उन्हें 22 जनवरी की सुबह सात बजे-मृत्यु होने तक-फांसी पर लटकाने को लेकर अदालत ने सात जनवरी को आवश्यक वारंट जारी किए थे. न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने दोषी विनय शर्मा और मुकेश कुमार की सुधारात्मक याचिकाओं पर अपने चैंबर में विचार के बाद उन्हें खारिज कर दिया.

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मौत की सजा के अमल पर रोक के लिये मौखिक सुनवाई के आवेदन भी अस्वीकार किए जाते हैं. सुधारात्मक याचिका किसी व्यक्ति को उपलब्ध अंतिम कानूनी विकल्प है. दो अन्य दोषियों अक्षय कुमार सिंह और पवन गुप्ता ने अभी तक सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की है. राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करते हुए मुकेश ने अपने मौत के वारंट को रद्द कराने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया. उच्च न्यायालय के मुकेश की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने की उम्मीद है.

महानिदेशक(जेल) संदीप गोयल ने कहा कि मुकेश ने शीर्ष न्यायालय द्वारा अपनी सुधारात्मक याचिका खारिज किए जाने के बाद शाम में (राष्ट्रपति के समक्ष) दया याचिका दायर की. निर्भया की मां ने दो दोषियों की सुधारात्मक याचिकाएं खारिज होने के तुरंत बाद निर्भया की मां आशादेवी ने कहा, ‘आज का दिन उनके लिए बड़ा दिन है क्योंकि मैं इसके लिए सात साल से संघर्ष कर रही हूं. मेरे लिए आज का दिन बड़ा है लेकिन 22 जनवरी सबसे बड़ा दिन होगा, जब चारों को फांसी दी जाएगी.’

यह भी पढ़ेंःममता का PM मोदी पर निशाना- हम दुश्मनों से भी विनम्र व्यवहार करते हैं, लेकिन...

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोषियों को अन्य विकल्प से भी मदद नहीं मिलेगी और भविष्य में उन्हें भी खारिज कर दिया जाएगा. शीर्ष न्यायालय की पीठ ने कहा कि मौत की सजा के अमल पर रोक के लिए आवेदन भी अस्वीकार किया जाता है. हमने सुधारात्मक याचिकाओं और संबंधित दस्तावेजों का अवलोकन किया है। हमारी राय में रूपा अशोक हुर्रा बनाम अशोक हुर्रा एवं अन्य के मामले में 2002 के फैसले में इस न्यायालय द्वारा प्रतिपादित मानकों के दायरे में इसमें कोई मामला नहीं बनता है. अत: सुधारात्मक याचिकाएं खारिज की जाती हैं.

न्यायाधीशों की इस पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल थे. पांच न्यायाधीशों की यह सर्वसम्मत राय थी कि इन दोषियों की सुधारात्मक याचिकाओं में कोई दम नहीं है. इस मामले में दोषियों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता एपी सिंह ने दिन में कहा था कि वह शीघ्र ही विनय और मुकेश की ओर से राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करेंगे.

उन्होंने कहा कि मैंने तिहाड़ जेल में 2012 से 2019 तक बंद इन दोषियों के आचरण के बारे में जेल प्रशासन से विवरण मांगा है. यह विवरण मिलते ही मैं अक्षय और पवन के लिए भी सुधारात्मक याचिकाएं दायर करूंगा. सिंह ने कहा कि पिछले महीने ही उन्होंने इन दोषियों के आचरण के बारे में विवरण प्राप्त करने के लिए जेल प्रशासन से संपर्क किया था, लेकिन उन्हें अभी तक यह उपलब्ध नहीं कराया गया है.

उन्होंने कहा कि वह निचली अदालत द्वारा इन दोषियों को फांसी देने के लिए वारंट जारी करने के सात जनवरी के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय जाने की भी तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब वह दया याचिका दायर कर देंगे तो इस तथ्य को अदालत के संज्ञान में लाएंगे, ताकि फांसी देने का कार्यक्रम पर रोक लगाई जा सके. दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में चलती बस में छह दरिंदों ने 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार के बाद बुरी तरह से जख्मी हालत में पीड़िता को सड़क पर फेंक दिया था. इस छात्रा की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी.

इस अपराध में शामिल एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था और उसके खिलाफ किशोर न्याय कानून के तहत कार्यवाही की गई थी. इस नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखा गया था. अन्य चार आरोपियों पर निचली अदालत में मुकदमा चला और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई, जिसकी पुष्टि उच्च न्यायालय ने कर दी थी. इसके बाद मई, 2017 में उच्चतम न्यायालय ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखते हुए उनकी अपील खारिज कर दी थी. न्यायालय ने बाद में इन दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें भी खारिज कर दी थीं.

Source : News Nation Bureau

Nirbhaya Case Death Warrant Mercy Petition Convict Mukesh Singh
Advertisment
Advertisment
Advertisment