दिल्ली के चर्चित निर्भया गैंग रेप मामले के दोषी अपनी फांसी की सजा से बचने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. अब एक बार फिर दोषियों ने अपनी फांसी की सजा को टालने के लिए एक और कानून पहलू को अपनाने की बात की है. चार में से तीन दोषियों ने फांसी से बचने के लिए क्यूरेटिव और दया याचिका का रास्ता अपनाने की बात कही है. हाल ही में तिहाड़ जेल प्रशासन ने उन्हें नोटिस जारी कर इस संबंध में पूछा था.
यह भी पढ़ेंः CAA के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने पर सोनिया, प्रियंका, ओवैसी के खिलाफ शिकायत दर्ज
रिव्यू पिटीशन हो चुकी हैं खारिज
दरअसल कुछ दिनों पहले ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने दोषियों से पूछा था कि क्या वह अभी किसी और कानूनी विकल्प पर विचार कर रहे हैं. दोषियों ने जवाब में कहा कि संविधान के हिसाब से उनके पास अभी कानूनी रास्ते बचे हैं. वह अभी क्यूरेटिव और दया याचिका का इस्तेमाल करना चाहेंगे. निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में चारों दोषियों (पवन, विनय, मुकेश और अक्षय) की रिव्यू पिटिशन पहले ही सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. दूसरी तरह कानूनी जानकारों का भी मानना है कि अभी दोषियों के पास अभी भी कई कानूनी विकल्प बचे हैं. दोषियों की रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद अब भी उनके पास क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल किए जाने विकल्प मौजूद है.
यह भी पढ़ेंः अब देशभर में चलेगी प्राइवेट ट्रेन, 150 ट्रेनों के लिए शुरू होगी बोली की प्रक्रिया
आरोपी पवन की 19 दिसंबर को खारिज हुई थी दया याचिका
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करते हुए दावा किया कि वह दिसंबर 2012 में अपराध के समय नाबालिग था. दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए निर्भया के दोषी पवन कुमार गुप्ता की याचिका खारिज कर दी. साथ ही कोर्ट ने अदालत का कीमती वक्त बर्बाद करने के लिए दोषी के वकील एपी सिंह पर पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
Source : News Nation Bureau