दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने मुख्य सचिव को दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डीआईसीसीआई) की शिकायत पर गौर करने का निर्देश दिया है, शिकायत में दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी में सीवर लाइनों की सफाई में लगे 1000 से अधिक दलित श्रमिकों को दिल्ली सरकार द्वारा 16 करोड़ रुपये के बिलों का भुगतान न करने की बात कही गई है.
एक सूत्र ने कहा, भुगतान में इस देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए एलजी ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है और सीएस को दिवाली से पहले इन दलित सफाई कर्मचारियों की सभी परेशानियों को दूर करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए. ताकि त्योहारों के दौरान श्रमिकों को किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े.
अध्यक्ष मिलिंद कांबले के नेतृत्व में डीआईसीसीआई द्वारा 30 सितंबर को एलजी से मिले एक प्रतिनिधित्व के मद्देनजर यह निर्देश आया है, जिसमें इन दलित श्रमिकों के प्रति दिल्ली सरकार की उदासीनता के बारे में शिकायत की गई थी.
दिल्ली जल बोर्ड ने 28 फरवरी, 2019 को दिल्ली में मैनुअल स्कैवेंजिंग को खत्म करने के लिए सीवर सफाई के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान लागू करने की योजना बनाई और डीआईसीसीआई के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते के तहत, डीजेबी द्वारा सीवर की सफाई के लिए 189 ठेकेदारों को लगाया गया था. इन ठेकेदारों ने 1000 से अधिक सफाई कर्मचारियों को लगाया जिन्होंने डीजेबी क्षेत्रों में सीवरों की सफाई का काम किया.
सूत्र के अनुसार इन ठेकेदारों ने स्टैंड अप इंडिया के तहत ऋण लेकर सीवर सफाई मशीनें खरीदीं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सावधि ऋण को परियोजना लागत के 90 प्रतिशत तक, यानी प्रत्येक मशीन के लिए 40 लाख रुपये तक बढ़ा दिया और शेष 10 प्रतिशत मार्जिन मनी दलित उद्यमियों द्वारा लाया गया था.
हालांकि, दिल्ली सरकार द्वारा बिलों का भुगतान न करने के कारण, ये दलित श्रमिक कई महीनों से बिना वेतन के रहने को मजबूर हैं आधिकारिक सूत्र ने कहा कि ठेकेदार ईंधन, रखरखाव और बैंक ईएमआई के जैसे महत्वपूर्ण खचरें को पूरा करने में असमर्थ हैं.
एलजी से मुलाकात करते हुए, डीआईसीसीआई के अध्यक्ष डॉ कांबले ने आरोप लगाया कि, ठेकेदार और श्रमिक डीजेबी के साथ 4 सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब वह गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली जल बोर्ड में सक्रिय एक लॉबी लगातार इन गरीब दलित सफाई कर्मचारियों को हटाने की कोशिश कर रही है ताकि सीवर की सफाई का काम फिर से पुराने ठेकेदारों के पास चला जाए.
शिकायत के अनुसार, डीजेबी और डीआईसीसीआई के बीच ठेकेदारों को हर महीने भुगतान जारी करने का प्रावधान है, लेकिन इन 4 साल में इन दलित उद्यमियों को समय पर भुगतान नहीं किया गया है. इन ठेकेदारों को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान सबसे खराब संकट का सामना करना पड़ा, जब दिल्ली सरकार ने कई महीनों तक उनका भुगतान जारी नहीं किया, यहां तक कि सीवर सफाई मशीनों का उनका पूरा बेड़ा सरकार के शहर भर में विशेष स्वच्छता अभियान के लिए लगाया गया.
Source : IANS