राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने सोमवार से दिल्ली में ऑड-ईवन लागू करने की मंज़ूरी दे दी है। हालांकि इसके साथ ही एनजीटी ने दिल्ली सरकार के सामने कुछ शर्तें भी रखी है।
एनजीटी ने कहा कि अगर ऑड-ईवन लागू होता है तो फिर वीआईपी, महिला और दोपहिया वाहन को भी इस नियम के दायरे में लाना होगा। सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं को ही इस मामले में छूट दी जाएगी।
इसके साथ ही सुझाव दिया है कि आगे से अगर कभी भी प्रदूषण बढ़ता है तो तुरंत ऑड-ईवन लागू किया जाए। एनजीटी ने सरकार से प्रदूषण बोर्ड के रिपोर्ट पर नज़र बनाए रखने को कहा है और आदेश देते हुए कहा कि कभी भी 2.5 पीएम (पार्टिकल मैटर) का लेवल 300 के उपर और 10 पीएम का लेवल 500 के ऊपर जाता है तो तुरंत ऑड-ईवन लागू किया जाए।
एनजीटी ने दिल्ली सरकार को लगातार पानी का छिड़काव करने का भी आदेश दिया है।
शनिवार को सुनवाई के दौरान एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आखिर ऑड ईवन योजना को तब शुरू क्यों नहीं किया गया, जब प्रदूषण अपने पीक पर था।
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# एनजीटी ने पूछा, 'आपने कौन सी स्टडी के मुताबिक, ऑड-ईवन लागू किया है। दिल्ली सरकार ने कहा कि वह ईपीसीए के सुझावों को मान रहे हैं। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को कहा, भगवान मदद कर रहे हैं आपकी स्थिति आपने आप सुधर रही है।'
# ट्रिब्यूनल ने पूछा, 'यह फैसला 10 दिन पहले क्यों नहीं लिया गया। सुनवाई में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ट्रिब्यूनल को बताया कि उन्होंने मौखिक तौर पर दिल्ली सरकार को चेताया था, हालांकि दिल्ली सरकार ने इस बात को नकार दिया।'
# एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा है कि किसी एक बड़े शहर का नाम बताइए जहां पीएम-10 का स्तर 100 से नीचे हो। NGT ने दिल्ली सरकार से उस लेटर को दिखाने को कहा जिसके आधार पर ऑड-ईवन का फैसला लिया गया। ट्रिब्यूनल ने पूछा कि क्या एलजी की सहमति इस पर ली गई थी?
# ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार से कहा, 'जब आंकड़े दिखा रहे हैं कि बारिश न होने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है तो इस दिशा में अब तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया।'
# एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा, 'क्या हमें मान लेना चाहिए कि सरकार ऑड-ईवन के फायदे को लेकर आश्वस्त है और इसके बाद लोगों को भी कोई परेशनी नहीं होगी।'
# ट्रिब्यूनल ने पूछा, 'इस स्कीम को लागू करने के पीछे आपका उद्देश्य क्या है? इसके अलावा पूछा कि ऑड-ईवन का आइडिया किसी अधिकारी की तरफ से आया था या दिल्ली सरकार ने यह फैसला लिया था। यह भी बताएं कि किस स्टडी के आधार पर इस स्कीम को लागू करने का फैसला लिया?'
# एनजीटी ने कहा, 'ये बहुत दुख की बात है कि आप कोर्ट के पुराने आदेश नहीं पढ़ते हैं। दिल्ली सरकार ने बताया है कि गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण में दो पहिया गाड़ियों का योगदान 30 फीसदी है। कोर्ट को सीपीसीबी ने बताया है कि दो पहिया गाड़ियां मिलाकर 4 पहिया पेट्रोल गाड़ियों से ज्यादा प्रदूषण करती हैं। आपने किस वैज्ञानिक आधार पर दो पहिया गाड़ियों को छूट दी है। 500 गाड़ियों को हटाकर अगर 1000 दो पहिया गाड़ियां सड़क पर हैं तो आपका उद्देश्य सिद्ध नहीं हो रहा है।'
एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने कहा कि एनजीटी बेंच ऑड-ईवन योजना के खिलाफ नहीं है, वह यह जानना चाहती है कि यह कैसे मददगार है।
उन्होंने कहा, 'हम ऑड-ईवन वाहन नियंत्रण व्यवस्था योजना को अनुमति नहीं देंगे, जब तक कि आप यह नहीं साबित करेंगे कि यह निरर्थक नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी) व सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) की रिपोर्ट बताती है कि पिछली बार इस योजना पर अमल से प्रदूषण के स्तर में कोई बदलाव नहीं आया था। यह साफ है कि छोटी कारें मुख्य प्रदूषक नहीं हैं बल्कि यह डीजल व ज्यादा बोझ वाले वाहन हैं।'
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पीठ ने यह भी सरकार से कहा कि वह साफ तौर पर बताए कि प्रस्तावित 500 अतिरिक्त बसें जो सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए ऑड-ईवन के दौरान चलाई जाएंगी, उनमें से कितनी डीजल पर चलेंगी।
कुमार ने कहा कि दिल्ली मेट्रो ऑड-ईवन के पिछले संस्करण के दौरान पीक ऑवर के दौरान सहायता करने में विफल रही थी। यहां तक मेट्रो के अंदर भी सांस लेना मुश्किल हो गया था।
उन्होंने सरकार से दो पहिया वाहनों को इजाजत देने के पीछे के कारणों पर भी स्पष्टीकरण मांगा।
योजना पर अंतिम फैसला शनिवार को लिए जाने की संभावना है।
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इससे पहले एनजीटी ने शुक्रवार को कहा कि ऑड-ईवन के प्रभावों को जाने बिना इसे राजधानी में लागू करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
दिल्ली सरकार द्वारा 13 से 17 नवंबर तक ऑड-ईवन योजना लागू करने के एक दिन बाद एनजीटी ने यह दिशा-निर्देश जारी किया।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली व एनसीआर इलाके में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ऑड-ईवन की योजना रखी है।
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Source : News Nation Bureau