दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में लोगों के पानी के गलत बिल आ रहे हैं और उसको ठीक करने के लिए सत्ता पक्ष कह रहा है कि बिल ठीक होने चाहिए जबकि विपक्ष का रहा है कि बिल ठीक नहीं होने चाहिए. यह दिल्ली को लेकर बड़ी विसंगति है. दिल्ली कहने को तो आधा राज्य है लेकिन मेरे हिसाब से 5 परसेंट भी राज्य नहीं है. अगर यह पूर्ण राज्य होता तो किसी अफसर की हिम्मत नहीं थी कि मंत्री और मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना करके वह अपने पद पर रह जाता, सस्पेंड कर दिया जाता है. आज यह चर्चा इसलिए हो रही है दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, केंद्र में दूसरी पार्टी की सरकार है और वह नहीं चाहती कि दिल्ली की सरकार काम कर सके
विधानसभा में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में पानी के बिलों को लेकर हमारी क्या योजना है इसके बारे में मैं आसान भाषा में समझता हूं दिल्ली में कुल 27 लाख उपभोक्ता है. इनमें से 40% यानी 10.5 लाख अपना बिल नहीं भर रहे, क्योंकि उनको लगता है उनका बिल गलत आया है. इतनी बड़ी संख्या में अगर उपभोक्ता पानी का बिल नहीं भरा रहे हैं तो किसी भी जिम्मेदार सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इसके बारे में कोई नीतिगत फैसला लेकर आए. एक तरफ सारे उपभोक्ता दुखी हैं, बिल ठीक करने के लिए चक्कर लगा रहे हैं.
बिल इसलिए गलत है क्योंकि इसका एक बड़ा कारण है कोरोना में मीटर की रीडर ठीक से नहीं हुई. अब हम जनता की समस्या का समाधान करने के लिए एक योजना लेकर आये One time Settlement scheme. इसमे दो या सो से ज़्यादा OK रीडर को एवरेज मानकर बाकी रीडिंग मान ली जाएगी. इस हिसाब से आपका बिल ठीक किया जाएगा. इतनी अच्छी और शानदार स्कीम कहां हो सकती है. इसमें अगर कुछ कमी है तो हम बीजेपी वालों के साथ चर्चा करने को तैयार हैं. इस योजना के हिसाब से अगर किसी का महीने का 20000 लीटर से कम इस्तेमाल हुआ पानी दिखता है तो उसका बिल वैसे ही जीरो हो जाएगा और अगर किसी का पानी का बिल ज्यादा बनता है तो उसके ऊपर लेट पेमेंट कर चार्ज और इंटरेस्ट माफ कर दिया जाएगा.
हमारा अपना अंदाजा है कि इस हिसाब से 10.5 लाख में से 90% से ज़्यादा लोगों का पानी का बिल 20000 लीटर प्रति महीने से काम आएगा और उनका सारा पुराना बिल माफ हो जाएगा. बिना एक भी पैसा दिए उनके दफ्तरों के चक्कर बंद हो जाएंगे और पूरा बिल क्लियर हो जाएगा. दूसरी तरफ जल बोर्ड अच्छी है क्योंकि 10 लाख से ज्यादा लोग बिल नहीं दे रहे, जितने लोगों के बिल जीरो होंगे उसे हिसाब से वह पैसा जल बोर्ड को दिल्ली सरकार से मिल जाएगा क्योंकि दिल्ली सरकार उसको रीइंबर्स करती है
13 जून 2023 को इस योजना को पास किया था. यह योजना तुरंत लागू कर देनी चाहिए थे लेकिन आज 8 महीने हो गए इस योजना को कैबिनेट से पास हुए, इन अधिकारियों ने इसे लागू करने से मना कर दिया. आज स्थिति यह है कि कैबिनेट जब इस योजना को पास करेगी तब यह स्कीम लागू होगीइसके लिए वित्त सचिव को इस पर अपने कमेंट देने हैं, वित्त सचिव ने फाइल पर लिख दिया है कि मैं कमेंट्स नहीं दे रहा...सोचो...किसी अफसर की ऐसी हिम्मत हो सकती है?
Source : News Nation Bureau