oxygen shortage : देश में एक बार फिर कोरोना के केसों में रोजाना वृद्धि हो रही है. कोरोना से बिगड़ते हालात और ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. शांति मुकुंद हॉस्पिटल की ओर से पेश वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि मुझे 3.2 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का आवंटन होना तय हुआ है, जबकि 4 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है. लेकिन मुझे सप्लाई 2.69 मीट्रिक टन की हुई. INOX के बजाए अब लिंडे ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है.
दिल्ली सरकार के चीफ सेकेट्री ने दिल्ली हाई कोर्ट में दलील पेश करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि हॉस्पिटल निश्चित रहें, सप्लायर्स को अब पता है कि उनके पास कितने टैंकर हैं. अगले तीन दिन तक कितने यहां आने वाले हैं, इसकी लिस्ट आप हमें रोजाना दें. तब हम तीन दिनों का ऑक्सीजन का कोटा फिक्स करेंगे. आज शाम तक हम उपलब्ध डेटा के अनुसार कोटे का आदेश पास करने वाले हैं. अगर हॉस्पिटल को दिक्कत होगी तो उसमें बदलाव किया जा सकता है.
ऐसी व्यवस्था का फायदा क्या, जो कोर्ट आना पड़े : HC
ऑक्सीजन किल्लत की हॉस्पिटल की कॉल पर नोडल अधिकारी के जवाब नहीं देने की शिकायत पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. हाई कोर्ट ने कहा कि बार-बार ऐसी शिकायत आने का मतलब है कि कुछ गड़बड़ है. ऐसी व्यवस्था बनाने का फायदा क्या, जो हॉस्पिटल को कोर्ट आना पड़े.
इस पर दिल्ली HC ने नाराजगी जाहिर की है कि सिलिंडर वेंडर्स ने चीफ सेक्रेटरी के साथ मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वो आदेश नहीं मान रहे तो उन्हें कस्टडी में लीजिए. आपके पास उनके खिलाफ एक्शन का अधिकार है. ये सिलेंडर लाखों रुपये में ब्लैक मार्केट में बेचे जा रहे हैं. सिलेंडर बिज़नेस पूरी तरह घपला बन चुका है.
दिल्ली HC ने दिल्ली सरकार के इस आदेश पर भी हैरानी जताई, जिसके मुताबिक हॉस्पिटल को सभी इमरजेंसी मरीजों को 10 मिनट के अंदर देखकर ऑक्सीजन/मेडिसिन उपलब्ध करानी होगी. ऐसा न होने की सूरत में मरीजों को दूसरे हॉस्पिटल में रेफर करना होगा. हॉस्पिटल की ओर से पेश वकील का कहना था कि ये आदेश अव्यवहारिक है, इसके चलते हम मरीजों को भर्ती नहीं कर पा रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के आदेश की वैसे ज़रूरत नहीं है. इससे ऐसा लगता है कि हॉस्पिटल अपना काम नहीं कर रहे. मानो डॉक्टर, नर्स खाली बैठे हैं ये बेवजह हॉस्पिटल पर दबाव बनाना हुआ.
क्या घर पर इलाज करा रहे कोविड मरीजों को रेमेडिसिवर इंजेक्शन नहीं मिलेगा?
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार के आदेश पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि आप ऐसा आदेश कैसे पास कर सकते हैं. इसका मतलब जिनको अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं हो पाया, उन्हें ये इंजेक्शन नहीं मिलेगा. ये तो लोगों की ज़िंदगी से खेलना हुआ. आप ये क्यों मान बैठे हैं कि लोग अपनी मर्जी से इसे इस्तेमाल कर रहे हैं. लोग ऑनलाइन प्रिस्क्रिप्शन ले रहे हैं.
दिल्ली सरकार के वकील ने जवाब दिया कि जमाखोरी जारी है. मैं कोर्ट के सामने इस बारे में हुई छापेमारी की जानकारी रखूंगा. ऐसा नहीं है कि दिल्ली सरकार के ड्रग्स हॉस्पिटल बैठे हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि आप सभी हॉस्पिटल फार्मेसी को रेमेडिसिवर और बाकी दवाओं की जानकारी देने के लिए बोले. वो बताए कि किसको कितने इंजेक्शन दिए गए हैं. आप अपने एकाउंटिंग अफसर नियुक्त करें.
दिल्ली हर्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट ने भी ऑक्सीजन की कमी को लेकर कोर्ट का रुख किया. उन्होंने कहा कि कुछेक घंटों की ऑक्सीजन बची हैं. नोडल अधिकारी हमारे कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं.
कोरोना महामारी से निपटने से जुड़ी दिल्ली सरकार की व्यवस्था में तमाम खामियों से दिल्ली हाई कार्ट नाराज़ नज़र आया. नाराज HC ने दिल्ली सरकार से यहां तक कह दिया कि आप अपने सिस्टम को ठीक करिए. आपके अधिकारी हालात को संभाल नहीं सकते तो हमें बताइये. हम केंद्र सरकार के अधिकारियों से कहेंगे कि वे देखें. हम लोगों को ऐसे मरने नहीं दे सकते हैं.
दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले एक प्रमुख सप्लायर की यूनिट टेकओवर करने का निर्देश देते हुए दिल्ली HC ने सप्लायर से कहा कि आप अपने अस्पतालों को ऑक्सीजन सप्लाई करिए, वरना हम आपको हिरासत में ले रहे हैं. दिल्ली HC ने ऑक्सीजन सप्लायर से कहा कि आपका रवैया बेहद गैरजिम्मेदाराना है. यहां इतनी त्राही मची है. लोग ऑक्सीजन की वजह से मर रहे हैं और आप लाभ कमाने में लगे हैं. आप की यूनिट हम टेकओवर कर रहे हैं. दिल्ली सरकार के अधिकारी वहां बैठेगा.
दिल्ली के अशोका होटल के 100 कमरों को दिल्ली HC के जजों, ज्यूडिशियल स्टाफ के लिए कोविड केयर सेंटर के रूप में तब्दील करने पर दिल्ली HC ने सख़्त नाराजगी जाहिर की. स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया. सरकार से पूछा कि जब लोगों को बेड उपलब्ध नहीं हो रहे, ऐसी सूरत में क्या आप हमें खुश करने के लिए ऐसा कर रहे है। हमने ऐसी कोई मांग नहीं कि थी.
Source : News Nation Bureau