पाकिस्तानी अधिकारियों ने सोमवार को इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के दो कर्मचारियों को कथित रूप से ‘हिट एंड रन ’ के एक मामले में हिरासत में लेने के दस घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा और फिर भारत के कड़े आपत्तिपत्र (डिमार्शे) और त्वरित रिहाई के सख्त संदेश के बाद छोड़ दिया. भारत ने दो सप्ताह पहले जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों को निष्कासित कर दिया था.
पाकिस्तान की हरकत को उसी घटना की जवाबी कार्रवाई माना जा रहा है. पाकिस्तानी मीडिया ने कहा था कि दोनों भारतीय कर्मचारियों को कथित तौर पर ‘हिट एंड रन के एक हादसे’ में शामिल होने के लिये गिरफ्तार किया गया. पाकिस्तान ने हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि गैर राजनयिक कर्मचारियों को रिहाई के बाद उच्चायोग भेज दिया गया.
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सूत्रों ने बताया कि दोनों अपनी ड्यूटी के लिये सुबह आठ बजे (भारतीय समयानुसार) उच्चायोग से एक गाड़ी में निकले थे लेकिन गंतव्य पर नहीं पहुंचे. सूत्रों ने बताया कि कर्मचारियों के लापता होने की खबर आने के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी सैयद हैदर शाह को सम्मन करके कड़ा आपत्ति पत्र (डिमार्शे) जारी किया और दोनों भारतीय अधिकारियों की गिरफ्तारी को लेकर कड़ा विरोध दर्ज किया.
सूत्रों ने बताया कि डिमार्शे में यह साफ कहा गया कि भारतीय अधिकारियों से कोई पूछताछ नहीं होगी , उनका उत्पीड़न नहीं किया जायेगा और उनकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी पाकिस्तानी अधिकारियों की है. सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों से दोनों भारतीय अधिकारियों को उनकी आधिकारिक कार के साथ तुरंत उच्चायोग वापस भेजने के लिये कहा गया. समझा जाता है कि दोनों कर्मचारी सीआईएसएफ के हैं और भारतीय उच्चायोग में ड्राइवर के तौर पर काम करते हैं.
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पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, उन पर लापरवाही से गाड़ी चलाकर एक राहगीर को टक्कर मारने और फर्जी मुद्रा रखने के आरोप लगाये गए. जियो न्यूज ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा कि शहर के एम्बैसी रोड पर सुबह करीब आठ बजे एक बीएमडब्ल्यू कार ने एक राहगीर को टक्कर मार दी जिसके बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस को बाद में पता चला कि ये दोनों भारतीय उच्चायोग के अधिकारी हैं.
दो सप्ताह पहले भारत ने जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों आबिद हुसैन और मोहम्मद ताहिर को निष्कासित कर दिया था. इसके बाद से पाकिस्तानी एजेंसियों ने भारतीय उच्चायोग के कई अधिकारियों को परेशान करना शुरू कर दिया जिनमें उच्चायोग प्रभारी गौरव अहलूवालिया भी शामिल हैं.
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अहलूवालिया की कार का कम से कम दो मौकों पर पाकिस्तानी एजेंसियों ने पीछा किया जिसके बाद भारत ने पाकिस्तानी विदेश विभाग के समक्ष विरोध दर्ज कराया. यह घटनायें ऐसे समय में हुई हैं जब जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेने के भारत सरकार के फैसले के बाद दोनों देशों के आपसी संबंधों में तनाव है.
Source : Bhasha