निर्भया के दोषियों को मेडिकल रिसर्च के लिए अंगदान का विकल्प दिये जाने की बॉम्बे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एमएफ सलदान्हा की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अंगदान का फैसला स्वेच्छा से होता है और इस तरह के फांसी की सजा वाले मामलों में कोर्ट ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकता है. अगर दोषी चाहें तो खुद स्वेच्छा से अंगदान कर सकते हैं.
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एमएफ सलदान्हा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाई गई थी. इस अर्जी में उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद इनके शव को मेडिकल रिसर्च के लिए दे दिया जाए. इस अर्जी को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम किसी पर दबाव डालकर उसे नहीं बोल सकते हैं कि वह अंगदान करें. यह पूरी तरह से निजी फैसला है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के केस में हम कोई फैसला नहीं दे सकते हैं.
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3 मार्च को होनी है फांसी
निर्भया के दोषियों को एक साथ 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है. इसके लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल में इंतजाम किए गए हैं. दोषियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए मेरठ से पवन जल्लाद तिहाड़ जेल पहुंच चुका है. यहां फांसी के सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं. इससे पहले भी दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए 22 जनवरी और 1 फरवरी का डेथ वारंट जारी किया गया था. लेकिन दोषियों के कानूनी दावपेंच के कारण यह डेथ वारंट रद्द करने पड़े.