कोरोनावायरस महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान रद्द हुयी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की टिकटों का पूरा पैसा वापस दिलाने के लिये उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि केन्द्र और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को यह निर्देश दिया जाये कि विमान कंपनियां अपने ग्राहकों के टिकटों का पूरा पैसा लौटाने का आदेश दें.
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यह जनहित याचिका प्रवासी लीगल सेल नामक संगठन ने अपने सचिव बिन्स सेबास्टियन के माध्यम से दायर की है. याचिका में विमान कंपनियों द्वारा रद्द हुये टिकटों का पूरा पैसा नहीं लौटाने को गैरकानूनी और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के निर्देशों का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि विमान कंपनियां यात्रा के रद्द हुये टिकटों का पूरा पैसा लौटाने की बजाय एक साल तक वैध क्रेडिट सुविधा प्रदान कर रही हैं जो मई, 2008 में जारी नागरिक उड्डयन मानकों का उल्लंघन है.
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याचिका के अनुसार वर्तमान व्यवस्था में अगर टिकट का भुगतान क्रेडिट कार्ड से किया गया हो तो विमान कंपनियां टिकट रद्द होने के सात दिन के भीतर रुपये लौटाती हैं और नकद भुगतान किये जाने की स्थिति में धन तत्काल लौटाया जाता है.
याचिका में कहा गया है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 16 अप्रैल को अपने कार्यालय परिपत्र में विमान कंपनियों को निर्देश दिया था कि यदि किसी यात्री ने प्रथम लॉकडाउन के दौरान टिकट बुक कराया और विमान कंपनियों को उसका भुगतान मिला है तो विमान कंपनी को टिकट रद्द कराने की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर रद्दीकरण शुल्क वसूल किये बगैर ही पूरा धन लौटाना होगा.