दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर केंद्र सरकार और केजरीवाल सरकार आर-पार के मूड में नजर आ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन मामलों को छोड़कर दिल्ली की बॉस केजरीवाल सरकार को चुनी है, लेकिन केंद्र ने अध्यादेश लाकर ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामलों में उप राज्यपाल के अधिकार को फिर से उन्हें सौंप दिया है. इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर में विपक्षी नेताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. आज से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भारत दौरे पर निकल रहे हैं. सबसे पहले वह कोलकता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे. 25 मई को मुम्बई में उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिलकर राज्यसभा में केंद्र के ऑर्डिनेंस के खिलाफ एकजुट होने की अपील करेंगे.
केजरीवाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली का अधिकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को जिम्मेदारी सौंपी है. दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को समर्थन किया है. ऐसे में केंद्र सरकार दखल कैसे दे सकती है. दिल्ली सरकार संसद से लेकर सड़क तक इस मुद्दे को ले जाना चाह रही है. मुख्यमंत्री केजरीवाल विपक्षी नेताओं से मिलकर राज्यसभा में इस बिल का विरोध करने का आग्रह कर रहे हैं. वहीं, दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय दिल्ली के अधिकार के लिए रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन करने का ऐलान किया है. इस महारैली में मुख्यमंत्री केजरीवाल भी शामिल होंगे.
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नीतीश और तेजस्वी ने केजरीवाल का किया समर्थन
बता दें कि दो दिन पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केजरीवाल से मुलाकात कर उनके साथ खड़े होने की बात कही थी. नीतीश कुमार ने कहा था कि वह केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार के साथ है. उनका समर्थन केजरीवाल को पूरा मिलेगा. इतना ही नहीं नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के अध्यादेश की आलोचना भी की. वहीं, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी अरविंद केजरीवाल के समर्थन में उतरने का ऐलान किया है. अब केजरीवाल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, विपक्ष के नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद यादव और उद्धव ठाकरे से मिलकर केंद्र के खिलाफ माहौल बनाने में जुट गए हैं.
दरअसल, 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने दिल्ली के अधिकार केजरीवाल सरकार को सौंपी थी, जिसमें साफ कहा गया कि सार्वजकि व्यवस्था, पुलिस और जमीन को छोड़कर उपराज्यपाल सभी मामलों में दिल्ली सरकार की सलाह और सहयोग से ही काम करेंगे,पर केंद्र अध्यादेश के जरिए केंद्र ने उपराज्यपाल को फिर से जिम्मेदारी सौंप दी है.