आम आदमी पार्टी द्वारा बीआईएस पर आरओ कम्पनियों के फायदे के लिए गलत रिपोर्ट पेश करने का आरोप लगाने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में पानी की गुणवत्ता को लेकर जारी विवाद ने आज नया मोड़ ले लिया. अरविंद केजरीवाल की सरकार ने आरोप लगाया कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने आरओ (रिवर्स ओसमोसिस) कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गलत रिपोर्ट बनाई. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले (बीआईएस) ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि दिल्ली से लिये गए पानी के सभी 11 नमूने जल की गुणवत्ता मापने वाले 19 मापदंडों पर खरे नहीं उतरे. इसमें कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में पेयजल की गुणवत्ता देश में सबसे खराब है.
उपभोक्ता मामले के केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने 16 नवम्बर को यह रिपोर्ट जारी की थी. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि उन्हें राजनीति करने में कोई रुचि नहीं है और गंदे पानी की रिपोर्ट मिलने पर उसका निपटारा करने को तैयार हैं. वहीं पासवान ने इस बयान को उनके अपराध की स्वीकारोक्ति करार दिया. राज्यसभा में शून्य काल में भाजपा के विजय गोयल ने दिल्ली में दूषित हवा के साथ दूषित पानी का संकट गहराने का मुद्दा उठाया. गोयल ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से कहा कि दिल्ली में पानी की कुल मांग की आधी आपूर्ति टैंकर और बोरिंग के पानी से होती है. उन्होंने कहा कि आपूर्ति किया जाने वाला 40 प्रतिशत पानी लीकेज के कारण बर्बाद हो जाता है. यमुना में 60 प्रतिशत दूषित पानी मिल रहा है. गोयल ने कहा कि दिल्ली के लगभग सभी जलस्रोत दूषित हो चुके है.
गोयल द्वारा पेश किये गये आंकड़ों को गलत बताते हुये आप के सदस्य संजय सिंह ने इसका विरोध किया. भाजपा और उसके सहायोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शहर में प्रदर्शन किया और आप के शहर में शुद्ध पानी के दावे पर सवाल उठाए. दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के आधिकारिक आवास सहित पेयजल के नमूने दो जगह से नहीं लिए जा सके. जबकि एक नमूना एक मानदंड पर खरा उतरने में विफल रहा, उसमें जरूरत से कम क्लोरिन थी.’ मोहनिया ने कहा कि जनता विहार की गीता देवी के घर से लिये गये नमूने ‘पीने के योग्य नहीं पाए गए’ क्योंकि उसमें क्लोरिन की मात्रा जरूरत से कम थी. उन्होंने बताया कि 31 मानदंडों पर तीन प्रयोगशालाओं ने नमूनों की जांच की.
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डीजेबी के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘कृषि भवन स्थित पासवान के कार्यालय से लिये गये पानी के नमूने पीने योग्य पाए गए.’ उन्होंने बताया कि मुझे नहीं पता कि पासवान के आधिकारिक आवास 12 जनपथ से नमूने क्यों नहीं लिए जा सके. मोहनिया ने कहा, ‘सोनिया विहार में विनोद कुमार का घर पिछले तीन महीने से बंद पड़ा है. हम फोन पर भी उससे सम्पर्क नहीं कर पाए. यह भी पता नहीं चल पाया है कि बीआईएस अधिकारियों ने उसके घर से नमूने लिए थे, या नहीं.’ उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार शनिवार से पूरे शहर से नमूने लेने शुरू करेगी. मीडिया और लोगों को सार्वजनिक नोटिस जारी कर इस बारे में जानकारी दी जाएगी कि कहां से किस दिन नमूने एकत्रित किए जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘मीडिया आकर पूरी प्रक्रिया को कवर कर सकती है. हम पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे. नमूने एकत्रित किए जाने के बाद, नतीजे आने में 48 घंटे का समय लगता है. हम उसे मीडिया और लोगों के साथ साझा करेंगे.’
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उन्होंने कहा कि बीआईएस अधिकारी इस प्रक्रिया का हिस्सा होंगे. हालांकि वह अपनी ‘विश्वसनीयता खो चुके हैं लेकिन चाहे तो वे आ सकते हैं.’ मोहनिया ने कहा कि आरओ (रिवर्स ओसमोसिस) कम्पनियों की निकाय ‘वॉटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन’ (डब्ल्यूक्यूआईए) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के मई 2019 में दिए आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. एनजीटी ने वहां आरओ सिस्टम के उपयोग पर रोक लगा दी थी, जहां पीने के पानी की आपूर्ति में कुल टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम था. उन्होंने कहा, ‘ डब्ल्यूक्यूआईए ने इस बीआईएस की इस रिपोर्ट को शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किया है.’
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दिल्ली जल बोर्ड के प्रमुख केजरीवाल ने कहा कि 2015 में आप सरकार ने जब कार्यभार संभाला, उस वक्त करीब 2,300 जगहों पर पानी की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे थे लेकिन अब यह संख्या घटकर 125 रह गयी है. उन्होंने कहा, ‘अगर किसी भी कॉलोनी में गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है तो हम लोग निश्चित रूप से इसका समाधान करेंगे.’ इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पासवान ने कहा, ‘आज केजरीवाल जी ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान अपने पहले के दावे से पलटते हुए कबूल किया कि दिल्ली में गंदे पानी की समस्या है. हम भी शुरू से यह कहते आ रहे हैं कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि समस्या को जल्द से जल्द दूर करने का प्रयास करें ताकि दिल्ली को साफ पानी मिले.’