दिल्ली (Delhi) में भूजल की कमी की वजह से धीरे-धीरे बड़ा संकट खड़ा हो रहा है. राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के 100 वर्ग किलोमीटर इलाके में बेतहाशा ग्राउंड वाटर निकालने की वजह से खतरा बढ़ गया है. शहर में सतह के कुछ हिस्से खिसक रही है. इनमें खासकर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे (Airport) को प्रभावित कर रहा है. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग 100 वर्ग किमी क्षेत्र में जमीन के सरकने का जोखिम बढ़ गया है, इनमें से सबसे बड़ा क्षेत्र लगभग 12.5 वर्ग किमी दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कापसहेड़ा में है, जो हवाईअड्डे से बमुश्किल 800 मीटर दूर है. शोधकर्ताओं ने उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए इस इलाके का पता लगाया है.
यह भी पढ़ें : 'आप' आज गोवा के लिए अपने सीएम उम्मीदवार की करेगी घोषणा
एयरपोर्ट के पास बढ़ा खतरा
एयरपोर्ट के आसपास इलाकों में जमीन की स्थिति तेजी से खराब हो रही है और यह धीरे-धीरे एयरपोर्ट की तरफ बढ़ रहा है. संभावित रूप से इससे काफी खतरा बढ़ा है. एक रिसर्च में यह बात सामन आई है. रिसर्च टीम में आईआईटी बॉम्बे, जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज, कैम्ब्रिज और साउथ मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी यूएस के शोधकर्ता शामिल हैं. ये रिसर्च पीयर रिव्यू नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
दिल्ली में 1,236 मिलियन गैलन प्रति दिन की अनुमानित मांग
दिल्ली में 1,236 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) की अनुमानित मांग है जहां पहले से पानी की कमी से जूझ रहे दिल्ली में 300 एमजीडी मांग-आपूर्ति का अंतर है. मास्टर प्लान 2041 के मसौदे के अनुसार, यह मांग 2031 तक 1,746 एमजीडी तक बढ़ने की संभावना है. अध्ययन में पाया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग 100 वर्ग किमी का क्षेत्र में जमीन सरकने के उच्च जोखिम के अधीन है. जिन क्षेत्रों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है उनमें दिल्ली में बिजवासन, समालखा, कापसहेड़ा, साध नगर, बिंदापुर और महावीर एन्क्लेव शामिल हैं. डूंडाहेड़ा, सेक्टर 22ए, और गुड़गांव में ब्लॉक सी और फरीदाबाद में संजय गांधी मेमोरियल नगर के पॉकेट ए, बी, सी शामिल है.
HIGHLIGHTS
- शहर में सतह के कुछ हिस्से धीरे-धीरे नीचे की तरफ खिसक रही धरती
- अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को कर रहा है प्रभावित
- शोधकर्ताओं ने उपग्रह डेटा के जरिये पता लगाया
Source : News Nation Bureau