(रिपोर्ट- हरीश झा)
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PoC Act), 1988 (2018 में संशोधित) के तहत लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के इलेक्ट्रिकल डिवीजन के 5 इंजीनियरों के खिलाफ, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को जांच की मंजूरी दे दी है. जांच की स्वीकृति एफआईआर संख्या 08/2024 दिनांक 06.05.2024 में उल्लेखित स्वास्थ्य क्षेत्र के पीडब्ल्यूडी से संबंधित अधिकारी सुभाष चंद्र दास (एई), सुभाष चंद (एई), अभिनव (जेई), रघुराज सोलंकी (जेई) और राजेश अग्रवाल (जेई) के खिलाफ दी गई है. दिल्ली सरकार के अस्पतालों से संबंधित इस घोटाले से सरकारी खजाने को 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
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विभिन्न कंपनियों को टेंडर दिलाने में मदद की
यह मामला उपरोक्त सहायक इंजीनियरों और जूनियर इंजीनियरों के खिलाफ पीडब्ल्यूडी में दर्ज की गई शिकायतों से संबंधित है. इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने दिल्ली सरकार के विभिन्न अस्पतालों में आपातकालीन कार्यों के नाम पर खुद को लाभ पहुंचाने वाली विभिन्न कंपनियों को टेंडर दिलाने में मदद की. इन अस्पतालों में लोक नायक अस्पताल, मौलाना आजाद डेंटल विज्ञान संस्थान,जीबी पंत अस्पताल और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज शामिल हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत सख्त रुख अपनाया
अब तक की जांच में पता चला है कि पीडब्ल्यूडी के उपरोक्त अधिकारियों की ओर से फर्जी बिलों के भुगतान के लिए फर्मों/ठेकेदारों को भुगतान स्वीकृत किए गए. इससे सरकार को भारी नुकसान हुआ. आरोपियों ने अपने पसंदीदा ठेकेदारों/फर्मों को लाभ देने के लिए स्पॉट कोटेशन (Spot Quotation) में फर्जी हस्ताक्षर और हेरफेर किया था. इसके परिणामस्वरूप खजाने को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. गौरतलब है कि सक्सेना ने पदभार संभालने के बाद से सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार के खिलाफ बहुत सख्त रुख अपनाया है और भ्रष्टाचार के मामलों में संलग्न दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की सिफारिश की है.