तीन नए कृषि बिलो के विरोध में देशभर से आये किसान संगठन ने दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 20 दिनो से डटे हुए है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील और केंद्र सरकार के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई. बहस के दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा को दिल्ली सरकार का वकील कम और किसान संगठनों का वकील ज्यादा बताया.
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बता दें कि नए कृषि कानून के खिलाफ पिछले 20 दिनों से दिल्ली में जारी किसानों के आंदोलन को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ़ इण्डिया ने पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वे किसान संगठनों का पक्ष भी सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ है.
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बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को भी नोटिस दिया है. कोर्ट ने कहा कि ये एक राष्ट्रीय मुद्दा है, इसलिए ऐसे मामले आपसी सहमति से ही सुलझाए जाने चाहिए. साथ ही कोर्ट ने सरकार और किसान संगठनों से कहा कि है वे एक कमेटी का गठन करें और आपस में चर्चा कर कोई हल निकलने की कोशिश करे गौरतलब है कि किसानों के आंदोलन के कारण हाइवे जाम होने के खिलाफ लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
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याचिका में कहा गया था कि इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था. इस मामले में दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए राहुल मेहरा ने कहा कि किसान अपनी मर्जी से यहां नहीं बैठे है बल्कि केंद्र सरकार कि ओर से लाये गए कृषि बिलो के विरोध में,मज़बूरी में इतनी ठण्ड में यहां रुके हुए हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वकील से कहा कि आप दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे है या किसान संगठनो को? इस मामले में अब अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
Source : News Nation Bureau