सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के चार्ट में दिल्ली को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉटमेंट दिखाया गया है, जबकि दिल्ली की मांग 700 मीट्रिक टन है. उसको उसकी ज़रूरत के मुताबिक ऑक्सीजन दीजिए और ये सुनिश्चित कीजिए कि वो दिल्ली को मिल सके.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली राजधानी होने के नाते पूरे भारत के लोगों को प्रतिनिधित्व करती है. आप इस बात पर ज़ोर मत दीजिए कि ऑक्सीजन सप्लाई को उठाने की क्षमता नहीं. आप अपनी ओर से सप्लाई की पूरी कोशिश कीजिये.
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी सलाह दी कि वो केन्द्र सरकार के साथ मिलकर काम करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दिल्ली के लोगों के लिए ऑक्सीजन और दवाइयां जुटाने के लिए मिलकर काम कीजिए. ये वक़्त विपत्ति का है,राजनीति का नहीं है. फिलहाल, अभी कोर्ट में उद्योग संवर्धन विभाग की अतिरिक्त सचिव सुमिता डावरा ऑक्सीजन उत्पादन और वितरण का ब्यौरा रख रही हैं. वो खुद भी कोविड पॉजिटिव हैं. जजों ने उनके प्रयास की सराहना की.
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि लॉकडाउन जैसे क्या प्रतिबंध सरकार की ओर से महामारी को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए है. ऑक्सीजन टैंकर और सिलेंडर की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए क्या प्लान है? सरकार के जवाब में इसका जिक्र नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीनेशन को लेकर रजिस्ट्रेशन कराने पर भी सवाल किया. सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार से सवाल किया कि निरक्षर लोग या वो लोग जो इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते, वह वैक्सिनेशन के लिए कैसे पंजीकरण करवा सकता हैं? शमशान घाट कर्मचारियों के रजिस्ट्रेशन की क्या व्यवस्था है? इन सभी के लिए सरकार ने क्या योजना बनाई है?
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुनवाई हुई
- कोर्ट ने कहा कि केंद्र के चार्ट में दिल्ली को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन अलॉटमेंट दिखाया गया है
- दिल्ली की मांग 700 मीट्रिक टन है. उसको उसकी ज़रूरत के मुताबिक ऑक्सीजन दीजिए