उच्चतम न्यायालय में डिजिटल सुनवाई के दौरान एक वकील बिस्तर पर लेटे हुए और टी-शर्ट पहनकर पेश हुए जिस पर न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुनवाई की जन प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ‘‘अदालत के न्यूनतम शिष्टाचार’’ का पालन किया जाए. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मुकदमों में भाग ले रहे वकील ‘‘पेश होने योग्य’’ नजर आने चाहिए और ऐसी तस्वीरें दिखाने से बचना चाहिए जो उपयुक्त नहीं हैं.
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न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट ने वकील की इस संबंध में माफी स्वीकार कर ली. वकील ने माफी मांगते हुए न्यायालय से कहा, ‘‘टी-शर्ट पहनकर बिस्तर पर लेटे हुए अदालत में पेश होना अनुचित’’ है. न्यायालय ने 15 जून के अपने आदेश में कहा, ‘‘अदालत का यह मानना है कि जब वकील अदालत में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई में पेश हो तो उन्हें पेश होने योग्य होना चाहिए और ऐसी तस्वीरें दिखाने से बचना चाहिए जो उपयुक्त नहीं है और जिसे उनके घरों की निजता के दायरे में ही बर्दाश्त किया जा सकता है.’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम सभी कठिन दौर से गुजर रहे हैं और डिजिटल अदालतों द्वारा सुनवाई दिनचर्या का हिस्सा बन गई है. सुनवाई की जन प्रकृति को देखते हुए सभ्य परिधान, वीडियो की पृष्ठभूमि के लिहाज से अदालत के न्यूनतम तौर तरीकों का पालन किया जाना चाहिए.’’
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दरअसल यह घटना तब हुई जब शीर्ष न्यायालय हरियाणा में रेवाड़ी की एक पारिवारिक अदालत में लंबित एक मामले को बिहार के जहानाबाद में सक्षम अदालत में स्थानांतरित करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इस साल अप्रैल में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी जब वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में एक वकील बनियान पहनकर पेश हुआ था जिस पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने नाराजगी जताई थी.
Source : Bhasha