Delhi Water Crisis: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जल संकट का मामला दिनों दिन गहराता जा रहा है. जल संकट को लेकर दिल्ली सरकार की ओर से दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में जल संकट से निपटने के लिए ऊपरी यमुना नदी बोर्ड की एक इमरजेंसी बैठक बुलाने का आदेश जारी किया है. जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथ की पीठ ने निर्देश दिया कि बैठक 5 जून को आयोजित की जाए और 6 जून तक रिपोर्ट पेश की जाए. दो जजों की पीठ ने पहले तो यह जानने की कोशिश की इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सभी हितधारकों की बैठक क्यों नहीं हो सकती.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि इस पहले ही संज्ञान लिया जा चुका है और बोर्ड हिमाचल प्रदेश को भी पक्षकार के रूप में शामिल होने के कहा गया है. पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या बैठक 4 जून हो सकती है, लेकिन इस पर तुषार मेहता ने कहा कि यह मुश्किल है. उन्होंने बैठक के लिए 5 जून का सुझाव दिया. दिल्ली सरकार की ओर से फस हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बढ़ते तापमान और ग्लोबल वार्गिन की वजह से पानी की किल्लत का हवाला दिया. सिंघवी ने कहा कि वजीराबाद संयंत्र में पानी का स्तर बनाए रखना होगा और हरियाणा सरकार से मदद मांगी गई है, लेकिन अभी तक कोई किसी समाधान पर नहीं पहुंचे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर क्या बोलीं दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी
अपर यमुना रिवर बोर्ड को 5 जून को आपात बैठक बुलाने पर दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने दिल्ली में पानी की समस्या का संज्ञान लिया और उन्होंने इसका रचनात्मक समाधान दिया कि एक आपातकालीन बैठक बुलाई जानी चाहिए. अपर यमुना रिवर बोर्ड में दिल्ली सरकार, हिमाचल प्रदेश सरकार, हरियाणा सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार सबको मिल बैठकर समाधान निकालना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह साबित हो गया है कि दिल्ली में पानी की कमी सिर्फ दिल्ली की समस्या नहीं है, सभी राज्यों को एक साथ बैठकर इसका समाधान निकालना होगा"
Source(News Nation Bureau)