दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में परमाणु बंकर का कोई प्रावधान नहीं है, हालांकि 2004 में राष्ट्रीय आपदा नीति आ गई थी और 2007 में हमने आपदा को लेकर 11 बिंदु निश्चित किए थे ,लेकिन उसमें आग, भूकंप जैसी स्थिति है पर परमाणु युद्ध नहीं मौजूदा स्थिति में परमाणु, जैविक और रासायनिक हमले से बचने के लिए भी कम्युनिटी शेल्टर बनाए जाने चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि एनडीएमए एनडीआरफ केंद्र सरकार डीआरडीओ मिलकर रणनीति बनाएं.
खाने-पीने संचार और हवा का प्रबंध भी होना चाहिए
रक्षा विशेषज्ञ बी राज कादयान ने कहा,सिविल इंजीनियर के तौर पर मैं यह कह सकता हूं कि अगर स्टील या अलॉय का इस्तेमाल किया है, तो 8 इंच वरना मजबूत कंक्रीट में 18 इंच मोटी दीवारें होनी चाहिए. गेट ऐसा होना चाहिए जो बहुत ज्यादा गर्मी को सहन कर सके, रेडिएशन से बचने के लिए कम से कम 10 मीटर जमीन के नीचे हो खाने-पीने संचार और हवा का प्रबंध भी होना चाहिए. नई बन रही मेट्रो लाइन सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट, हर जिले में कम्युनिटी शेल्टर आदि बनने चाहिए. निजी बिल्डरों के पास ऐसी तकनीक होने की संभावना कम है कि वह परमाणु बंकर बना सकें.
हिरोशिमा में 15 किलो टन और नागासाकी में 21 किलो टन का परमाणु बम विस्फोट किया गया था. उसे देखते हुए यूरोप और अमेरिका में न्यूक्लियर बंकर बनाए गए तथा सोवियत रूस में मेट्रो का डिजाइन इस तरीके से किया गया कि वह भी बंकर के रूप में काम में लिया जा सके. भारत में भी इसी तरह का प्रावधान होना चाहिए. हमारे दोनों पड़ोसी देशों के पास परमाणु बम है और आतंकवाद से भी खतरा है उनके पास भी टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपंस आ सकता है. हालांकि रियल एस्टेट बिल्डरों के द्वारा बनाए जा रहे बंकर में मुझे नहीं लगता कि सभी तकनीकी पैरामीटर का ख्याल रखा जाएगा, यह सिर्फ मानसिक रूप से अमीरों को मन की शांति देने के लिए काफी है.
वैश्विक स्तर पर लगातार युद्ध हो रहे हैं
विदेश मामलों के विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव के अनुसार, वैश्विक स्तर पर लगातार युद्ध हो रहे हैं. ईरान-इसराइल से लेकर रूस-यूक्रेन तक में टैक्टिकल न्यूक्लियर हमले की संभावना है. भारत को भी आतंकवादियों से लेकर चीन और पाकिस्तान से इसी तरह का खतरा भविष्य में हो सकता है. इसे देखते हुए हमें भी स्विट्जरलैंड और अन्य देशों से सीख लेकर बड़े शहरों में न्यूक्लियर बंकरों का निर्माण करना चाहिए.
सबवे के अंदर किस तरह से न्यूक्लियर बंकर को बनाया जा सकता है. बड़े गेट से लेकर मोटी दीवार, जमीन के नीचे रेडिएशन से बचाव से लेकर ऑप्टिकल केवल के जरिए संचार की सुविधा,अंदर मौजूद बिजली के लिए पैनल ,कंट्रोल यूनिट और बैटरी आदि होना जरूरी है. इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है कि जितना जमीन के नीचे रहेंगे उतना रेडिएशन से बचाव होगा.
यह एक आधुनिक सरकारी इमारत है, जिसमें हम लगभग 30 मीटर यानी 100 फीट नीचे मौजूद है. जहां किसी भी तरह के रेडिएशन का कोई असर नहीं पढ़ सकता, हालांकि सुरक्षा कारणों से हम इस लोकेशन को सार्वजनिक नहीं कर सकते लेकिन यह केंद्रीय दिल्ली के इलाके में आती है.
परमाणु विस्फोट की स्थिति में गर्मी को रोक सकते हैं
जमीन के नीचे होने की वजह से यहां पर रेडिएशन से बचाव है. बड़े लोहे के गेट जो बाहर परमाणु विस्फोट की स्थिति में गर्मी को रोक सकते हैं, अंदर मौजूद है आग बुझाने से लेकर कंट्रोल पैनल, कम्युनिकेशन और अनाउंसमेंट की व्यवस्था, 2 फुट मोटी कंक्रीट की दीवार, ढाई सौ फीट नीचे से पानी के लिए पंप, सेपरेट वेंटिलेशन की व्यवस्था आदि. यहां पर खास तौर पर मिश्र धातु से ऐसी टंकी की व्यवस्था की गई है. जहां पर कई महीनो तक पीने के पानी को शुद्ध रूप में रखा जा सकता है. बहुत बड़े-बड़े रेफ्रिजरेटर भी डीआरडीओ द्वारा निर्मित लंबे समय तक चलने वाले फूड पैकेट को सुरक्षित रख सकते हैं.