तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari court violence) में वकीलों और पुलिस के बीच संघर्ष के बाद की घटनाओं के मद्देनजर ‘बार काउन्सिल ऑफ इंडिया’ (Bar Council of India) ने बार संगठनों को पत्र लिखकर ‘गुंडागर्दी में संलिप्त’ वकीलों की पहचान करने का अनुरोध किया है. इस संस्था ने वकीलों से अपना विरोध खत्म करने का आग्रह किया है क्योंकि यह संस्थान को बदनाम कर रहा है. बार काउन्सिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने इस तरह के ‘उपद्रवी तत्वों’ को बख्शने से संस्थान की छवि खराब कर रही है और बार संगठनों की यही निष्क्रियता तथा सहनशीलता ऐसे वकीलों का हौसला बढ़ाती है. अंत में इसकी परिणति उच्च न्यायालयों या उच्चतम न्यायालय में अवमानना कार्यवाही के रूप में होती है.
मिश्रा ने अपने पत्र में कहा, ‘‘दिल्ली उच्च न्यायालय के शानदार कदम के बाद भी जिस तरह से कुछ वकीलों ने आचरण कर रहे हैं, कुछ वकीलों के कल (4 नवंबर) के आचरण ने हमें विचलित किया है. अदालत से अनुपस्थित रहने या हिंसा का सहारा लेना हमारे लिये मददगार नहीं होगा बल्कि ऐसा करके हम अदालतों, जांच कर रहे न्यायाधीशी, सीबीआई, गुप्तचर ब्यूरो और सतर्कता विभाग की सहानुभूति भी खो रहे हैं. यहां तक कि आम जनता की राय भी हमारे विरूद्ध जा रही है. इसके नतीजे खतरनाक हो सकते हैं.’’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने रविवार को हुई घटना के बारे में मीडिया में आयी खबरों का स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि पूर्व न्यायाधीश एसपी गर्ग इस मामले की न्यायिक जांच करेंगे.
उच्च न्यायालय ने जांच के दौरान विशेष आयुक्त संजय सिंह और अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हरिन्दर सिंह का तबादला करने का निर्देश पुलिस आयुक्त को दिया और यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी वकील के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जायेगी.
इस पत्र में दिल्ली की बार एसोसिएशनों के बड़े नेताओं से अपील की गयी है कि वे सोमवार को पारित प्रस्ताव वापस ले लें और मंगलवार से ही अपना काम शुरू कर दें. इसमें यह भी चेतावनी दी है कि वह इस पूरे प्रकरण से अपना समर्थन वापस लेगी.
बार काउन्सिल आफ इंडिया ने बार एसोसिएशनों के प्रस्ताव को निरर्थक और बगैर किसी कानूनी आधार वाला बताया. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे.
Source : भाषा