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तीस हजारी हिंसा : हाई कोर्ट में जो कुछ हुआ है, उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाए दिल्‍ली पुलिस, करनल सिंह बोले

तीस हजारी हिंसा (Tis Hazari Violence) : एसोसियेशन के अध्यक्ष पूर्व आईपीएस और प्रवर्तन निदेशालय सेवा-निवृत्त निदेशक करनल सिंह (Karnal Singh) ने दिल्‍ली पुलिस से कहा है कि वह तीस हजारी मामले में सुप्रीम कोर्ट जाए.

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Sunil Mishra
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तीस हजारी हिंसा : हाई कोर्ट में जो कुछ हुआ है, उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाए दिल्‍ली पुलिस, करनल सिंह बोले

तीस हजारी हिंसा : दंगल में कूदी रिटायर्ड गजटेड ऑफिसर्स एसोसियेशन( Photo Credit : IANS)

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दिल्ली (Delhi) में काले कोट बनाम खाकी वर्दी के बीच चल रहे दंगल (Tis Hazari Violence) में दिल्ली पुलिस रिटायर्ड गजटेड ऑफिसर एसोसियेशन ने भी बुधवार को छलांग लगा दी. इसकी पुष्टि तब हुई जब एसोसियेशन के अध्यक्ष पूर्व आईपीएस और प्रवर्तन निदेशालय सेवा-निवृत्त निदेशक करनल सिंह (Karnal Singh) ने दिल्ली के उप-राज्यपाल (LG) और पुलिस आयुक्त (Police Commissioner) को पत्र लिखा. पत्र में जिम्मेदारी वाले पदों पर मौजूद दोनों ही शख्शियतों से आग्रह किया गया है कि अब तक हाईकोर्ट (High Court) में जो कुछ हुआ है दिल्ली पुलिस (Delhi Police) उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जाने का विचार गंभीरता से करे.

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जबकि दूसरी ओर गुरुवार को एसोसियेशन के सचिव और दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड सहायक पुलिस आयुक्त जयपाल सिंह (Jaipal Singh) ने आईएएनएस से कहा, "हमला खाकी पर और कानून पर नहीं बल्कि केंद्र सरकार और संविधान पर हुआ है. दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार की है. ऐसे में इसे सिर्फ हवलदार सिपाहियों के पिटने पीटे जाने तक ही सीमित रखकर कोई भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता."

दूसरी ओर एसोसियेशन के अध्यक्ष करनल सिंह द्वारा लिखे गये पत्र में कहा गया है, "जो हुआ बुरा हुआ. तीस हजारी कांड के बाद मगर जो कुछ हो रहा है वो और भी ठीक नहीं है. जब अदालतों में यह सब होगा. जो पुलिस कानून का पालन कराने के लिए बनी है, उसी के साथ ऐसा होगा तो फिर यह किसी भी नजर से ठीक नहीं है."

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पत्र में कहा गया है, "दिल्ली पुलिस और उपराज्यपाल दिल्ली हाईकोर्ट के बाद पूरा मामला लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं जाते हैं? पुलिस को अपनी बात रखने के लिए तुरंत सुप्रीम कोर्ट का रुख करना चाहिए, ताकि सब कुछ एक ही के पक्ष में न होता रहे."

एसोसियेशन ने सवाल किया, "अदालत में जो कुछ हुआ उसे कानून की नजर में क्या गुंडागर्दी नहीं कहा या समझा जाना चाहिए? हर जगह पुलिस ही दोषी क्यों? सच्चाई जानने के लिए घटना वाले दिन का सामने आया सीसीटीवी फुटेज ही काफी है. जिसमें साफ साफ दिखाई दे रहा है कि कौन क्या कर रहा है?"

एसोसियेशन ने आगे लिखा, "जब तक दिल्ली पुलिस सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी तब तक पुलिस वालों पर की जा चुकी कार्रवाई में कोई मदद नहीं मिलेगी."

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दूसरी ओर गुरुवार को बात करते हुए एसोसियेशन के सचिव और दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी जयपाल सिंह ने आईएएनएस से कहा, "कानून और सरकार की रक्षा में पुलिस वालों ने तीस हजारी अदालत में जो कुछ किया और जिस सब्र से खुद पर झेल लिया, वो काबिले तारीफ था. हां मगर इस सब्र को पुलिस की कमजोरी नहीं सब्र ही मानकर देखना होगा. अगर पुलिस भी उस दिन सब्र तोड़ देती तो हालात और भी बिगड़ सकते थे, लेकिन पुलिस ने उस दिन जिस समझदारी का परिचय दिया उसी का परिणाम है कि तीस हजारी कांड का सीसीटीवी फुटेज देखकर कोई नहीं कह सकता है कि पुलिस ने कहीं कोई गलत काम किया."

जयपाल सिंह के मुताबिक, "मुसीबत की इस घड़ी में दिल्ली पुलिस की रिटायर्ड गजटेड एसोसियेशन पूरी तरह से दिल्ली पुलिस के साथ थी, है और रहेगी. जरूरत पड़ने पर एसोसियेशन पुलिस की आर्थिक मदद करने से भी पीछे नहीं हटेगी."

Source : आईएएनएस

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