तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई झड़प में सबसे पहले एक पुलिस की मोटरसाइकिल को आग के हवाले करने वाली महिला वकील की पहचान दिल्ली पुलिस ने कर ली है लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है. अधिकारियों ने बताया कि उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि दो नवम्बर को हुई हिंसा के मामले में किसी भी वकील के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती.
पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती क्योंकि मामले की न्यायिक जांच लंबित है. अपराध शाखा ने कई सीसीटीवी फुटेज की जांच करने के बाद वकील की पहचान की गई है. इनमें से एक फुटेज में महिला शाम चार बजकर 14 मिनट पर तीस हजारी अदालत परिसर की हवालात के बाहर पार्क पुलिस मोटरसाइकिल में आग लगाती नजर आ रही है. इसके करीब पांच मिनट बाद ही अन्य पुलिस मोटरसाइकिलों में भी आग लगा दी गई थी.
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अन्य फुटेज में चार बजकर 19 मिनट पर वकील पत्थरों से भरी एक बोरी लाती दिख रही है. इसके बाद ही वकीलों के एक समूह ने पुलिस कर्मियों पर पथराव करना शुरू किया था. उस दिन पुलिस की 13 मोटरसाइकिलों को आग लगाई गई थी. सीसीटीवी फुटेज में चार बजकर 21 मिनट पर डीसीपी-रैंक की एक वरिष्ठ अधिकारी गेट नंबर 1ए से अंदर आती दिख रही हैं. वे हाथ जोड़कर लोगों से शांत होने की गुहार लगा रही है और उनके पीछे वाहन जलते दिख रहे हैं.
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चार बजकर 22 मिनट पर उनके साथ हाथापाई होने की भी फुटेज है. तीस हजारी अदालत परिसर में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प में पुलिस की 13 मोटरसाइकिल सहित 17 वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे. इसमें 21 पुलिसकर्मी और कुछ वकील घायल हो गए थे. इस घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस पी गर्ग द्वारा घटना की न्यायिक जांच कराने के आदेश दिये थे. अदालत के निर्देश के बाद जांच लंबित रहने तक विशेष आयुक्त संजय सिंह, अतिरिक्त डीसीपी हरेंद्र सिंह का स्थानांतरण कर दिया गया था. उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि किसी वकील के खिलाफ कोई “दंडात्मक कार्रवाई” नहीं की जाए. भाषा निहारिका उमा उमा