तिहाड़ का तिलिस्म इन दिनों कोई नहीं समझ पा रहा है. यहां तक कि तिहाड़ जेल में बंद कैदी और तिहाड़ जेल का संचालन कर रहा जेल-प्रशासन भी. एक सप्ताह में जिस तरह से यहां एक मुजरिम और एक विचाराधीन हाईप्रोफाइल कैदी की मौत हुई है, उसने जेल प्रशासन और यहां कैद कैदियों के हलक सुखा दिए हैं. सब एक-दूसरे को शक की नजर से ही देख रहे हैं. जुबां से बोलकर-पूछकर भले ही कोई अपने गले में घंटी बांधना न चाह रहा हो, मगर सबकी आंखों में एक ही सवाल है, "अब पता नहीं अकाल मौत का अगला निवाला कौन होगा?" इन संदिग्ध और अकाल मौतों के बाद से जेल स्टाफ परेशान है कि उस पर सवालिया निशान लग रहे हैं. उंगलियां उठ रही हैं कि जो तिहाड़ एशिया की सबसे सुरक्षित जेल कही-मानी जाती है, उसमें आखिर कैदी आए दिन क्यों और कैसे मर रहे हैं? जबकि कैदी इस बात को लेकर खौफजदा हैं कि पता नहीं, अकाल मौत के मुंह में जाने वाला अगला कैदी कौन होगा?
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बीते दिनों तिहाड़ में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय फौज के पूर्व अधिकारी की मौत हो गई थी. जेल की चारदीवारी से निकलकर आई कहानी के मुताबिक, "मरने वाला शख्स एनआरआई था. उसे दिल्ली कैंट इलाके से पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था. उस पर सेना के पुस्तकालय से चोरी का आरोप लगा था. आरोपी के खिलाफ दिल्ली कैंट थाने में केस दर्ज किया गया था. जेल जाने के अगले दिन ही संदिग्ध हालात में छत से गिरने के कारण उसकी मौत हो गई."
इस मामले की न्यायिक जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी. दो दिन पहले दिल्ली की ही रोहिणी जेल में 30-35 साल के हनी शर्मा नाम के कैदी की मौत हो गई. हनी को बीमार होने पर अस्पताल में दाखिल कराया गया था. एक दिन इलाज चलने के बाद ही उसने दम तोड़ दिया.
सवाल यह पैदा होता है कि देश की बाकी तमाम जेलों में सबसे ज्यादा सहूलियतों और मोटे बजट वाली दिल्ली की जेलों में आखिर वो क्या बला है, जो गाहे-ब-गाहे एक न एक कैदी को अकाल मौत की गोद में सुला दे रही है. जब तक एक कैदी की मौत की जांच की वजह सामने नहीं आ पाती, तब तक दूसरा कैदी मर चुका होता है या फिर मरने के कगार पर पहुंच चुका होता है.
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तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने इस बारे में आईएएनएस से बात करते हुए गुरुवार को कहा, "दोनों ही मामलों की जांच चल रही है। फिलहाल जांच रिपोर्ट आने से पहले कुछ तथ्यात्मक कह पाना मुश्किल है." उन्होंने आईएएनएस से कहा, "रोहिणी जेल में बंद कैदी हनी शर्मा दिल्ली के ही मोहन गार्डन का रहने वाला था. उसे लूट के एक मामले में 6 साल की सजा हुई थी."
उधर, देश और एशिया की सबसे सुरक्षित समझी जाने वाली तिहाड़ के तिलिस्म से अनजान परिवार वाले हनी की संदिग्ध मौत की खबर से बेहाल हैं. उनका आरोप है कि कुछ दिन पहले ही जेल में हनी पर बाकी कुछ कैदियों ने ब्लेड से हमला किया था. परिवार वालों ने आईएएनएस से दावा किया कि 'हनी को कोई बीमारी नहीं थी.' जेल प्रशासन सिर्फ अपनी खाल बचाने के लिए झूठ का सहारा ले रहा है.
बताया जाता है कि हनी करीब डेढ़ साल से रोहिणी जेल के वार्ड नंबर 4 में सजायाफ्ता मुजरिम के बतौर कैद था. हनी जेल में मुंशी और कंप्यूटर का कामकाज करता था. उसके परिवार वालों के बयान के मुताबिक, "सोमवार की सुबह हनी से मिलने उसका भाई हिमांशु और दो अन्य रिश्तेदार गए थे. उस वक्त हनी बिल्कुल सलामत, स्वस्थ था। अचानक वो बीमार होकर मर भी गया. आखिर यह कैसे संभव है?"
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परिवार वालों के मुताबिक, "हनी जेल में दुश्मनी और जेल की अंदरखाने की राजनीति का शिकार होकर अकाल मौत के मुंह में चला गया. कोई बड़ी बात नहीं कि उसे जहर देकर मार डाला गया हो." जेल प्रशासन हालांकि हनी के परिवार वालों के सभी आरोपों को सिरे से नकार रहा है. जेल प्रशासन के मुताबिक, "आरोप लगाना आसान है, मगर उन्हें साबित करना होगा. जब तक जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती, तब तक सब आरोप बेबुनियाद हैं."
Source : आईएएनएस