जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों को भड़काने के लिए लोगों को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को शामिल करने के लिए कहा था. पुलिस ने उसके खिलाफ दायर पूरक आरोप पत्र में एक सुरक्षित गवाह को उद्धृत करते हुए यह आरोप लगाया. आरोपपत्र में आगे आरोप लगाया गया कि 2019 में खालिद और सह-अभियुक्त शार्जील इमाम ने यह निर्णय लिया कि मस्जिदों को विरोध शुरू करने का केंद्र बिंदु होना चाहिए और चक्का जाम के लिए इमामों की सेवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. दिल्ली की एक अदालत ने माना कि आरोपपत्र और दस्तावेजों के अध्ययन के बाद अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त सामग्री है.
मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद, शरजील इमाम और फैजान खान के खिलाफ फरवरी में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में कथित साजिश से जुड़े एक मामले में दायर हालिया पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लिया. सुरक्षित गवाहों में से एक के बयान के अनुसार, जो आरोप पत्र का हिस्सा है, खालिद ने कथित तौर पर दंगों को भड़काने के लिए सीएए के विरोध प्रदर्शनों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या आप्रवासियों को लाने के लिए कहा था. पुलिस ने पूरक आरोपपत्र में कहा कि भारत सरकार के लिए फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में सांप्रदायिक दंगे होने की घटना से अधिक अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की स्थिति कुछ नहीं हो सकती थी.
अदालत ने आरोपियों के वकील को दो दिसंबर की दोपहर आरोपपत्र (चार्जशीट) की सॉफ्ट कॉपी क्लेक्ट करने का निर्देश दिया है. जमानत पर चल रहे फैजान को 22 दिसंबर को तलब किया गया है. अदालत ने कहा, चूंकि दो आरोपी व्यक्ति शरजील इमाम और उमर खालिद वेबेक्स ऐप के माध्यम से अपने वकील के साथ मौजूद हैं, इसलिए समन जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है. तीनों के खिलाफ रविवार को दिल्ली पुलिस ने 930 पन्नों की पूरक चार्जशीट दायर की थी. यह मामला दंगों को उकसाने के एक 'षड्यंत्र' से संबंधित है, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 748 लोग घायल हुए थे. पुलिस ने दावा किया है कि सांप्रदायिक हिंसा खालिद और अन्य लोगों द्वारा कथित तौर पर रची गई एक पूर्व-निर्धारित साजिश थी.
Source : IANS/News Nation Bureau