वजाहत हबीबुल्ला और भीम आर्मी प्रमुख ‘सीएए’ के खिलाफ पहुंचे उच्चतम न्यायालय

न्यायालय ने कहा कि इस कानून की वैधता के बारे में पांच सदस्यीय संविधान पीठ फैसला करेगी.

author-image
Ravindra Singh
New Update
supreme court

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

Advertisment

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) सहित कुछ कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए बुधवार को उच्चतम न्यायालय का रूख किया. याचिका में कहा गया है कि कानून ‘मनमाना’, अतार्किक है, जिससे समाज के कुछ धड़े में शत्रुत्रापूर्ण भेदभाव हो सकता है. हबीबुल्ला और आजाद के अलावा, सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश और दिल्ली निवासी बहादुर अब्बास नकवी भी मामले में सह-याचिकाकर्ता हैं.

सीएए के अलावा नयी याचिका में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम,2015, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम 2016, विदेशी (संशोधन) आदेश,2015, विदेशी (संशोधन) आदेश 2016, नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मुद्दा) नियम, 2003 और नागरिकता नियम, 2009 को निरस्त करने की मांग की गयी है. न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि केन्द्र का पक्ष सुने बगैर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगायी जायेगी.

न्यायालय ने कहा कि इस कानून की वैधता के बारे में पांच सदस्यीय संविधान पीठ फैसला करेगी. नयी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कानून और न्याय, गृह, विदेश और रक्षा मंत्रालयों को प्रतिवादी बनाया है . याचिका में दावा किया गया कि ये कानून संविधान के अधिकार के दायरे के बाहर हैं और देश के लोगों से ‘छल’ करने का प्रयास हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि 10 जनवरी 2020 की अधिसूचना के जरिए लागू नागरिकता संशोधन कानून, 2019 एनआरसी लागू कराने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है.

इसका साफ इरादा मुस्लिमों सहित नागरिकों के सभी पिछड़े वर्ग को डिटेंशन सेंटर में पहुंचाना और उन्हें मुख्यधारा से हटाना है. इस तरह देश का मौजूदा तानाबाना बिगड़ सकता है . इसमें कहा गया है कि संशोधित नागरिकता कानून अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) का उल्लंघन करता है. 

Source : News Nation Bureau

Supreme Court caa Bhim Army Chief Chandrashekhar Wajahat Habibulla
Advertisment
Advertisment
Advertisment