वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को सदन में पेश किया गया. इसको लेकर दिल्ली हज कमेटी की अध्यक्ष कौसर जहां ने कहा, ये बिल जवाबदेही, पारदर्शी और समान प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के साथ एक प्रभावी कानून बनाने की ओर सरकार का सराहनीय कदम है. कौसर जहां ने दिल्ली वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर कहा कि इस संशोधन के तहत मुसलमान समाज के सभी वर्गों की भागीदारी की बात की गई है. इस पर विपक्ष को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
इस बिल के बाद वक्फ बोर्ड पहले से और ज्यादा सक्षम और जवाबदेही बनेगा. इसके साथ ही भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी कम होंगी. अगर दिल्ली वक्फ बोर्ड की बात करें. वहां पर विधवा महिलाओं और अनाथ बच्चों को जो पैसा मिलता है, वो नहीं मिला. मस्जिदों के जो हमारे इमाम हैं, उनको भी ठीक से वेतन नहीं मिलता है.
शरीयत में दखलअंदाजी बढ़ेगी
विपक्ष का आरोप कि इस बिल से शरीयत में दखलअंदाजी बढ़ेगी. इस पर कौसर जहां ने कहा कि शरीयत में दखलअंदाजी की बात कहां से आती है. फिलहाल वक्फ बोर्डों की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ लोगों ने वक्फ बोर्ड की जमीनों पर नाजायज तरीके से कब्जा कर रखा है. बिल पर सरकार का कदम सराहनीय है.
बता दें विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक-2024 को पेश कर दिया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा नाम पुकारे जाने पर अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू जब सदन में वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 को पेश करने के लिए खड़े हुए तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव सहित पूरा विपक्ष विरोध में सदन में खड़े हो गया.
विपक्षी दलों की तरफ से कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल एवं इमरान मसूद, सपा से अखिलेश यादव एवं मोहिब्बुल्लाह, टीएमसी से सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी (शरद पवार) से सुप्रिया सुले और एआईएमआईएम से असदुद्दीन ओवैसी के अलावा डीएमके, आईयूएमएल, सीपीआई, सीपीआई (एम), आरएसपी, वीसीके सहित अन्य कई विपक्षी दलों के सांसदों ने बिल को संविधान और मुसलमान विरोधी बताते हुए इसका विरोध किया.
सरकार का साथ देते हुए बिल का समर्थन किया
वहीं, एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने सरकार का साथ देते हुए बिल का समर्थन किया. जेडीयू की तरफ से केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि निरंकुश संस्था में पारदर्शिता लाना सरकार का काम है. यह बिल मुसलमान विरोधी नहीं है. विपक्ष को मंदिर या संस्था में अंतर नजर नहीं आ रहा है.