दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने वाटर टैंकर घोटाला मामले में केंद्रीय राजस्व के महालेखाकार से मदद मांगी है।
एसीबी ने महालेखाकार से पूछा है कि क्या पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान 350 से अधिक टैंकरों के ठेके देने के संबंध में किसी नियम का उल्लंघन किया गया? एसीबी इस मामले की भी जांच कर रही है कि क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 358 स्टेनलेस स्टील वाटर टैंकर के ठेके देने के मामले की जांच में देरी की।
एसीबी प्रमुख मुकेश कुमार मीणा ने बताया, 'एसीबी ने केंद्रीय राजस्व के महालेखाकार से सुझाव मांगा है और यह पूछा कि क्या इस संबंध में नियमों की अनदेखी की गई?'
क्या निविदा प्रक्रिया की देखरेख के लिए सलाहकार की नियुक्ति की गई, जिससे राजस्व को 36.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ? यह पूछने पर मीणा ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, एसीबी को पता चला है कि एक सलाहकार की नियुक्ति मनमाने ढंग से की गई, जिससे राजस्व को 36.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इस आधार पर एक कंपनी की निविदा खारिज कर दी गई थी कि वह आवेदन देने वाली एकमात्र कंपनी है। हालांकि इसी आधार पर एक अन्य कंपनी को ठेका दे दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि दूसरी कंपनी को अपेक्षाकृत अधिक दरों पर 323.9 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया।
गौरतलब है कि 400 करोड़ रुपये के टैंकर घोटाले के तहत दिल्ली जल बोर्ड के दायरे से बाहर के क्षेत्रों में पानी पहुंचाने वाले निजी वाटर टैंकर संचालकों को पक्षपातपूर्ण तरीके से लाभ पहुंचाने का आरोप है।
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इससे पहले एसीबी ने 17 मई को केजरीवाल के राजनीतिक सलाहकार विभव पटेल से पूछताछ की थी और आम आदमी पार्टी (आप) से निलंबित नेता कपिल मिश्रा को भी जांच से जुड़ने के लिए कहा था।
Source : IANS