उत्तर प्रदेश के नोएडा से दिल्ली (Noida To Delhi) और फरीदाबाद (Noida To Faridabad) जाने वाले रास्ता अभी नहीं खुला है. शुक्रवार सुबह इसके खोले जाने की अफवाह फैली थी. दरअसल एक बैरिकेडिंग के हट जाने से गाड़ियां जाने लगीं, जिससे रास्ता खोलने को लेकर अफवाह फैल गई. यह रास्ता पिछले 69 दिनों से बंद है. नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) और प्रस्तावित एनआरसी के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए यह रास्ता बंद किया गया था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शाहीन बाग (Shaheen Bagh) का मसला हल करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े (Sanjay Hegde), साधना रामचंद्रन (Sadhna Ramchandran) और पूर्व सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह (Wajahat Habibullah) को प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया था. हालांकि मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि दिल्ली पुलिस से बातचीत के बाद दिल्ली-यूपी पुलिस ने नोएडा से जैतपुर होते हुए फरीदाबाद वाला रास्ता खोला है.
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नहीं बदले हालात, ये देखिए लाइव फोटो
अफवाह फैलने के बाद यातायात पुलिस सक्रिय हुई और तत्काल बैरिकेडिंग को दुरस्त कराया गया. यह भी बताया जा रहा है कि इस रूट पर एक बस खराब हो गई थी, जिससे इस सड़क को कुछ देर के लिए खोला गया था और बाद में फिर इसे बंद कर दिया गया. अफवाह इसलिए फैल गई, क्योंकि एक टीवी चैनल ने हटे हुए बैरिकेडिंग से जाती गाड़ियों को दिखाते हुए रास्ता खोलने की खबर चला दी.
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लोग बोले- अगर बंद ही करना था तो खोला क्यों?
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) को लेकर रास्ता कुछ देर के लिए खोला गया था और बाद में बंद कर दिया गया. पुलिस ने बैरिकेडिंग को दोबारा से लगा दिया है. रास्ता खुलने और फिर बंद होने को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. हालांकि रास्ता फिर से बंद होने पर लोगों का कहना है कि अगर इसे बंद ही करना था तो फिर खोला ही क्यों? उधर, नोएडा पुलिस (Noida Police) का कहना है कि एक जगह लगे जाम खुलवाने के लिए बैरिकेड को हटाया गया था.
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शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से नाराज हो गई थीं वार्ताकार
एक दिन पहले गुरुवार को शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बात करने पहुंचे वार्ताकार साधना रामचंद्रन नाराज हो गईं. बातचीत हो रही थी, इसी बीच एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका गलत है. इस पर बिफरते हुए साधना रामचंद्रन ने कहा, हम शुक्रवार को अलग-अलग जगह पर 10-15 महिला प्रदर्शनकारियों के साथ बात करना चाहेंगे. यहां बात करने लायक माहौल नहीं है. साधना रामचंद्रन प्रदर्शनकारियों को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में बता रही थीं, तभी कुछ प्रदर्शनकारियों ने कहा- हमें पता है कि सीएए क्या है, आपको बताने की जरूरत नहीं है.