दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार को फटकार लगायी है. दिल्ली में कोरोना की स्थिति को बिगाड़ने वाले दो प्रमुख मुद्दों पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी पर पूछा कि दिल्ली में ऑक्सीजन का आवंटन किस आधार पर किया गया है. ऑक्सीजन की कमी को दूर करने की योजना किस प्रकार बनायी गई है. दिल्ली को आवंटित 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कब तक मिलने लग जाएगी. दिल्ली हाइकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को पर्याप्त अवसर दिए गए, लेकिन केंद्र सरकार की सक्रियता से संतुष्ट नहीं है. दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि इसके बाद हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसा लग रहा है कि केंद्र चाहता है कि लोग मर जाएं.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अस्पतालों की बेड क्षमता और मानकों के हिसाब से मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन किया है. वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने दिल्ली सरकार को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आवंटित की गई थी जो कि कभी दिल्ली को पूरी नहीं मिली है, अभी तक 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन भी कभी नहीं मिली है. जिसकी वजह से कई अस्पातलों को उनकी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है.
दिल्ली हाइकोर्ट ने बुधवार को एंटी वायरल ड्रग रेमडेसिविर की कमी को लेकर भी केंद्र सरकार को लताड़ा है. हाइकोर्ट ने नए प्रोटोकोल के हिसाब से रेमडेसिविर के इस्तेमाल पर केंद्र की आलोचना की है. हाईकोर्ट ने कहा कि दवा केवल ऑक्सीजन सपोर्ट वाले मरीजों के लिए दी जानी थी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूरे मामले को गलत तरीके से हैंडल किया है. उच्च न्यायालय ने केंद्र से यह भी पूछा कि यह निर्णय किस आधार पर किया गया कि दिल्ली सरकार को कितनी मात्रा में दवा दी जानी थी. क्या कोई भी दवा खरीदने के लिए सीधे मैन्युफैक्च र्स या सप्लायर्स के पास जा सकता है.
बत्रा हॉस्पिटल के MD ने कोर्ट में कहा कि दिल्ली HC और सरकार के लगातार आदेश के बावजूद हमें ज़रूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है या तो हमें ऑक्सीजन उपलब्ध करा दी जाए अन्यथा मरीज़ों को भर्ती न करने की इजाजत दी जाए. हम पर तलवार लटक रही है. हर रोज मरने वालों की संख्या बढ़ रही है. अस्पताल पहुंच रहे मरीज भी आशंकित है कि उन्हें शायद ऑक्सीजन न मिले और उनकी जान पर बन आए.
दिल्ली HC ने बत्रा हॉस्पिटल से सवाल किया है कि आप इतने बड़े अस्पताल हैं. आपने खुद का ऑक्सीजन प्लाट क्यों नहीं लगाया. दरअसल, दिक्कत सरकार और हॉस्पिटल दोनों के साथ है. कोर्ट ने कहा कि ये समस्या नई है, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की महामारी से लड़ाई अपने आप में बहुत जटिल और अभूतपूर्व है. कोर्ट का दिल्ली सरकार को सुझाव है कि जरूरत हो तो सेना की मदद ली जा सकती है. महाराष्ट्र में उन्होंने बेहतर काम किया है. दिल्ली सरकार के वकील का जवाब है कि यहां ITBP, DRDO और राधा स्वामी का सहयोग मिल ही रहा है.
Source : News Nation Bureau